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मोटोरोलाः कब बना, कब-कब बिका




जब पहली बार आर्मस्ट्रान्ग ने चांद पर कदम रखा तो वहां से छोटे शब्दों में एक बहुत ही बड़ी बात धरती पर लोगों के लिए कही (one small step for man, one giant leap for mankind"‘इंसान के लिए एक छोटा सा कदम और इंसानियत के लिए एक बड़ी उपलब्धि’ इस बात को पूरे संसार ने सूना।  इसमें कोई शक नहीं कि आर्म स्ट्रॉन्ग की यह उपलब्धि बहुत महान थी और उनके द्वारा कही गईं बातों ने जन-जन में नई शक्ति का संचार किया। परंतु आर्म स्ट्रॉन्ग को महान बनाने और उनकी बातों को जन-जन तक पहुंचाने में जिस तकनीक का योगदान रहा उसे भी कम नहीं आंका जा सकता। आर्म स्ट्रॉन्ग ने चांद से जिस ट्रान्सिवर पर बात की वह मोटोरोला का था।

तकनीक के क्षेत्र में ऐसे ही कई महत्वपूर्ण अविष्कारों के लिए मोटोरोला का नाम हमेशा आता रहा है। यही वह कंपनी है जिसे सूचना क्षेत्र में क्रांति लाने का श्रेय जाता है। वर्ष 1973 में कंपनी ने पहली बार मोबाइल टेलीफोनी से लोगों को रू-ब-रू कराया और आज हर हाथ में मोबाइल है। परंतु समय का खेल देखिए कि जिसने सबके हाथों में मोबाइल दिया आज वहीं दूसरे और फिर तीसरे हाथ में जा चुका है। पिछले दो सालों में यह कंपनी दो बार बिक चुकी है। पहले मोटोरोला को गूगल ने खरीदा और  गूगल से लेनोवो ने। परंतु ऐसा क्या कारण रहा कि मोबाइल का अविष्कारक ही मोबाइल में पिछड़ गया और बार-बार बिकने को मजबूर हो गया? इन बातों पर आगे बढ़ने से पहले एक नजर डालते हैं मोटोरोला के सफर पर।

ये कहानी है पुरानी
इलेक्ट्रॉनिक्स से मोटोरोला का रिश्ता पुराना है। पाउल वी गेल्विन ने वर्ष 1930 में मोटरोला की स्थापना की थी। वर्ष 1928 में गैलविन मैन्यूफैकचरिंग कॉरपोरेशन ने सबसे पहले मोटोरोला नाम से बैटरी एलमिनेटर को पेश किया था। कंपनी ने बैटरी एलमिनेटर से शुरुआत की ओर बाद में रेडियो और रेडियो सिग्नल क्षेत्र में अपने पांव पसारे। वर्ष 1930 में मोटोरोला ने अपना पहला रेडियो पेश किया। उस वक्त तक रेडियो दस्तक दे चुका था लेकिन मोटोरोला ने विश्व का पहला कार रेडियो बनाया जो बेहद लोकप्रिय हुआ।
मोटोरोला नाम रेखने के पीछे भी एक मजेदार कहानी है। पाउल वी गेल्विन और कंपनी के निवेशक बिल लियर इसके रेडियो के नाम पर विचार कर रहे थे। चुंकि यह मोटर कार के लिए रेडियो बना था इसलिए इन्होंने सबसे पहले ‘मोटोर’ शब्द लिया और उस वक्त ‘ओला’ एक प्रचलित शब्द था जिसका उपयोग वाद्यय यंत्र के साथ किया जाता था। इस तरह मोटोरोला का निर्माण हुआ। मोटोरोला रेडियो इतना प्रचलित हुआ कि गैल्विन ने कंपनी का नाम ही बदलकर मोटोरोला रख दिया। वर्ष 1930 में उन्होंने इसका ट्रेडमार्क भी प्राप्त कर लिया।

वॉकि-टॉकी से पेजर तक
वर्ष 1940 में नया मोड़ आया जब कंपनी ने वॉकि-टॉकी का निर्माण किया। एससीआर-300 नाम से लॉन्च किए गए इस वॉकि-टॉकी का उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध  के समय अमेरिकी सेना में किया गया। इस साल से कंपनी ने रेडियो टेक्नोलॉजी और सेमिकंडर के क्षेत्र में प्रयोग को और तेज कर दिया।

द्वितीय विश्व युद्ध के समय ही कंपनी ने हैंड हेल्ड एएम रेडियो का निर्माण किया और इस रेडियो का भी उपयोग सेना में किया गया। इस युद्ध तक कंपनी अमेरिका के 94 प्रमुख कंपनियों में से एक थी जो सेना को साजो सामान मुहैया करा रही थी। 1943 में कंपनी ने पब्लिक हिस्सेदारी के लिए स्टॉक निकाला। इस वक्त तक कंपनी खास तौर से रेडियो और टेलीविजन उत्पाद के निर्माण से जुड़ी थी। वर्ष 1956 में कंपनी फिर से एक बार अपने उत्पाद को लेकर सुर्खियों में थी। इस वर्ष मोटोरोला ने विश्व का पहला पेजर लांच किया। पेजर का उपयोग 40 किलोमीटर के दायरे में किया जा सकता था। अमेरिका के अस्पतालों में इस सेवा का बेहतर तरीके से उपयोग किया गया। 

चांद पर पहुँचा मोटोरोला
कंपनी की लोकप्रियता यहीं नहीं रूकी। 1958 से मोटोरोला ने नासा को रोडियो इक्यूपमेंट मुहैया कराना शुरू कर दिया और जब 1969 में आर्म स्ट्रॉन्ग चांद पर पहुँचे तो वहां से उन्होंने मोटोरोला ट्रांसिवर से ही संदेश पृथ्वी पर भेजा था।

वायरलेस नेटवर्क और ट्रांसीवर के क्षेत्र में कंपनी शुरू से ही अग्रसर रही है। वर्ष 1960 में कंपनी ने कोडलेस टेलीवीजन का प्रदर्शन कर सबको चैंका दिया। इसके बाद में टेलीवीजन का विकास किसी से छुपा नहीं है। परंतु कंपनी की उपलब्धि यहीं रुकी नहीं।

इसे तो अभी और लोकप्रियता बटोराना था। वर्ष 1973 का वह ऐतिहासिक पल आया जब मोटोरोला ने पहली बार मोबाइल फोन का अविष्कार किया। 

कंपनी के वायस प्रेसिडेंट डॉ. मार्टीन कूपन ने मोटोरोला डायरनाटैक 8000एक्स का निर्माण किया था। 10 साल बाद जाकर इस इस फोन को एपफसीसी (फेडरल कम्यूनिकेशन कमीशन) द्वारा विश्व का पहला मोबाइल सेलफोन घोषित किया गया। इसके बाद तो कंपनी ने एक के बाद एक नई ऊचांईयों को छूना शुरू कर दिया। 1980 में पहला 32 बिट्समाइक्रोप्रोसेसर चिपसेट का प्रदर्शन किया और 1995 में कंपनी ने टू वे पेजर को लांच कर कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित किया। 

इसके माध्यम से ईमेल और मैसेज डिवायस पर प्राप्त किया जा सकता था और उसका प्रतिउत्तर भी दिया जा सकता था। ये पेजर बेहद लोकप्रिय हुए। अगले ही साल 1996 में कंपनी ने हल्का और क्लैमशेल डिजाइन में फोन लांच कर सबको चैंका दिया। फोन के डिजाइन में बदलाव आना यहीं से शुरू हो गया। कंपनी ने फ्लैप डिजाइन में मोटरोला स्टारटैक फोन को पेश किया था।


वर्ष 1998 तक कंपनी विश्व की नंबर एक मोबाइल निर्माता थी। 2000 में ही कंपनी ने विश्व का पहला जीपीआरएस आधारित फोन पी7389आई को पेश किया। अब तक मोटोरोला के कुल आए का लगभग 2 तिहाई हिस्सा मोबाइल सेग्मेंट से आ रहा था।  

अर्श से फर्श पर
हालांकि वर्ष 2000 के बाद कंपनी को नंबर एक का ताज गंवाना पड़ गया लेकिन बाजार में मोटोरोला की अपनी एक अलग पहचान थी।  कंपनी ने वर्ष 2004 कंपनी ने मोटोरोला रेजर वी3 मोबाइल फोन को लांच किया। 

डिजाइन के मामले में यह फोन बेहद ही शानदार था। कंपनी ने साबित कर दिया कि क्लैमशेल डिजाइन में इसका कोई शानी नहीं है। अमेरिका में आईफोन लांच होने से पहले मोटरोला रेजर वी3 सबसे ज्यादा बिकने वाला हैंडसेट था। 

कंपनी ने सिर्फ अमेरिका में ही 130 मिलियन मोटोरोला रेजर वी3 बेचा। परंतु इसके बाद धीरे-धीरे मोटोरोला की साख गिरनी शुरू हो गई और मोबाइल फोन सेग्मेंट में कंपनी नोकिया, सोनी (तत्काल सोनी एरिक्सन), सैमसंग और एलजी से पिछड़ती चली गई। 

हालांकि बीच-बीच में कंपनी द्वारा कुछ बेहतर कोशिशें देखी गईं। वर्ष 2005 में रॉकर ई1 को उतारा इसमें आईट्यून स्टोर लिंक दिया गया था। इससे उपभोक्ता आईट्यून स्टोर से मुफ्त में गाने डाउनलोड कर सकते थे।
 
वहीं 2006 में कंपनी ने मोटो मिंग टच को लांच किया जो हैंडरायटिंग रिकॉग्निशन को सपोर्ट करने में सक्षम था। परंतु इस तरह की कोशिशों के बाद भी मोटोरोला की खोई हुई साख वापस पाने में सफल नहीं हुई और एक बाद एक करके पिछड़ता ही गया। 

वर्ष 2007 से लेकर 2009 तक कंपनी को लगभग 4.3 बिलियन डॉलर का घाटा हुआ और यहां से मोटोरोला मे सुगबुगाहट शुरू हो गई। 4 मई 2011 को मोटोरोला को मोटोरोला मोबिलिटी और मोटोरोला सोल्यूशंस नाम से दो कंपनियों में बांट दिया गया। 

मोटोरोला सोल्यूशंस को सीध मोटोरोला इंकॉर्पोरेटेड के नीचे आती है जबकि आर्गनाइजेशन को इस तरह से बनया गया था कि मोटोरोला मोबिलिटी को अलग कर दिया गया। एक साल बाद वह दिन भी आया जब मोटोरोला मोबिलिटी को बेचना पड़ा।

गूगल ने थामा मोटोरोला का दामन
15 अगस्त 2011 मोटोरोला के इतिहास का शायद सबसे बुरा दिन कहा जा सकता है। इस दिन आधिकारिक रूप से घोषणा कर दी गई कि मोटोरोला मोबिलिटी को गूगल को सौंप दिया जाएगा। 

मोबाइल जगत के लिए यह खबर बेहद ही चैंकाने वाली थी। इस दिन मोटोरोला मोबिलिटी के सीईओ संजय झा और गूगल के सीईओ लैरी पेज ने साझा रूप से यह बयान जारी किया कि मोटोरोला मोबिलिटी गूगल के हवाले कर दिया जाएगा और इसके लिए गूगल मोटोरोला के शेयर धरकों को प्रतिशेयर 40 डॉलर चुकाएगा।

कुल मिलाकर यह सौदा लगभग 12.5 बिलियन डॉलर का था। इसमें मोटोराला मोबिलिटी के 3 बिलियन डॉलर कैश भी शामिल था जो गूगल को मिलता था। यह सौदा कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के मुहर के बाद पूरा हो जाना था। 

इस सौदे को पूरा होने में लगभग एक साल का समय लगा और 22 मई 2012 को मोटोरोला मोबिलिटी पर पूरी तरह से गूगल का अधिकार हो गया।  गूगल के हाथों में मोटोरोला के जाने के बाद यह आशा थी कि कंपनी जरूर कुछ बेहतर करेगी और शायद नेक्सस डिवायस मोटोराला ही बनाए।

क्योंकि अब तक गूगल का ऑपरेटिंग सिस्टम एंडरॉयड बेहद ही लोकप्रियता बटोर चुका था। इस दौरान मोटोरोला द्वारा कुछ फोन भी लॉन्च किए गए लेकिन वे फोन भारत में उपलब्ध् नहीं हुए।

अंततः पिछले साल यह घोषणा की गई कि मोटोरोला मोटो जी मॉडल को भारत में लॉन्च कर सकती है।
गूगल द्वारा मोटोरोला के खरीदे जाने के बाद कई जानकारों का कहना था कि कंपनी एप्पल की तरह सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर पर अपना नियंत्रण चाहती थी। सॉफ्टवेयर के मामले में गूगल आगे है ही। वहीं एंडरॉयड ऑपरेटिंग भी काफी लोकप्रिय हो चुका है।

 हार्डवेयर के लिए कंपनी ने मोटोराला को मोबिलिटी को खरीदा जिनका मोबाइल निर्माण में लंबा इतिहास रहा है। परंतु सारे कयास धरे के धरे रह गए और दो साल के अंतराल में मोटोरालो को फिर एक बार अपनी कीमत लगानी पड़ी। मोबाइल क्षेत्र की इस अग्रणी कंपनी का साथ गूगल ने भी छोड़ दिया और अब मोटोरोला का दामन लेनोवो ने थामा है।

मोटोरोला को मिला नया साथी
29 जनवरी 2014 अचानक यह खबर आई कि मोटोरोला मोबिलिटी को गूगल ने खरीद लिया है। इस खबर ने सबको चैंका दिया। अभी इस बात को लेकर चर्चा हो रही थी कि मोटोराला मोटो जी हैंडसेट को गूगल 5 फरवरी को भारत में लांच करेगा इससे पहले मोटोराला मोबिलिटी को बिकने की खबर आ गई। गूगल के सीईओ व को फाउंडर लैरी पैज और लेनोवो के सीईओ यंग उआंकिंग ने साझा रूप से यह बयान जारी किया कि मोटोरोला मोबिलिटी लेनोवो को सौंप दिया गया है।
लेनोवो ने मोटोरोला को 2.91 बिलियन यूएसब डॉलर में खरीदा। इस कीमत को कंपनी दो भाग में चुकाएगी। जिसमें पहला भाग 1.41 बिलियन यूएस डॉलर का है जिसमें 660 मिलियन यूएस डॉलर नगद और 750 मिलियन यूएस डॉलर के शेयर (अंश) देने हैं। वहीं बाकी बचा 1.5 बिलियन यूएस डॉलर को कंपनी तीन सालों में चुकाएगी। 

गूगल ने जब मोटोराला मोबिलिटी को खरीदा था कंपनी के साथ इसे कुल 24 हजार मोटोरोला के पेटेंट्स भी प्राप्त हुए थे जबकि लोनोवो को मोटोरोला मोबिलिटी के साथ मोटोरोला के सिर्फ 2 हजार पेटेंस ही मिले हैं। बाकी 22 हजार पेटेंट्स गूगल के पास ही रहेंगे। इलेक्ट्रॉनिक्स समान के निर्माण में लेनोवो को पुराना इतिहास रहा है और पिछले ही साल लेनोवो ने एंडरॉयड स्मार्टफोन के निर्माण क्षेत्र में कदम रखा है। 

चीन सहित ऐशिया के कुछ क्षेत्रो में कंपनी अच्छा कर रही है लेकिन मोटोरोला के लेने के बाद वह यूएस और लैटिन अमेरिका में अच्छी पकड़ बना सकता है। क्योंकि आज भी मोटोरोला अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता कंपनी है।

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