अंततः नोकिया ने सिंबियन आपरेटिंग को पूरी तरह से बंद कने
की घोषणा कर दी। एक समय इस आपरेटिंग का विश्व पर राज था लेकिन आज इसे
अलविदा कह दिया गया।
सिंबियन सफ़र
सिंबियन आपरेटिंग को स्मार्ट मोबाइल कंप्यूटिंग का जनक कहा जा सकता है। वर्ष 1980 में डेविड पोर्टर ने सिनक्लेयर पर्सनल कंप्यूटर के लिए गेम और विशेष सॉफ्टवेयर का विकास किया था जिसे पीसीआन नाम दिया गया। इसी प्रोग्राम के तहत पीसीआन आर्गेनाइजर ने सन 1984 में विश्व का पहला हैंडहेल्ड कंप्यूटर बनाने में मदद की। इसकी खासियत यह थी कि यह इस्तेमाल में तो आसान था ही साथ ही बेहतर तरीके से डाटा बेस प्रोग्रामिंग को सपोर्ट करने में सक्षम था। पीसीआन की उपयोगिता और बढ़ती लोकप्रियता ने इसे और बेहतर करने के लिए प्रेरित किया। इस
सिंबियन के विकास के लिए यह समझौता वर्ष 1998 में सॉफ्टवेयर कंपनी पीसीआन और मोबाइल निर्माता कंपनी सोनी एरिक्सन, मोटोरोला और नोकिया के बीच किया गया। इसके बाद वर्ष 2000, नवंबर में सिंबियन मोबाइल आपरेटिंग सिस्टम पर लांच होने वाला पहला फोन था सोनी एरिक्सन आर380। वर्ष 2001 में नोकिया कम्यूनिकेटर आया जो ओपेन सोर्स एप्लिकेशन सपोर्ट करने में सक्षम था। विशेष फीचर के तौर पर इसमें ब्लूटूथ जोड़ा गया। सिंबियन की विशेषता और उपयोगिता ने इसे नित नई उंचाइयों को छूने को आतूर कर दिया। इसी का परिणाम था कि वर्ष 2006 तक सिंबियन उपभोक्ताओं की संख्या 100 मिलियन से भी ज्यादा हो चुकी थी। परंतु इस क्षेत्र में नया मोड़ तब आया जब नोकिया ने वर्ष 2008 में सिंबियन के पूर्ण अधिकार को खरीद लिया और सिंबियन फाउंडेशन का गठन किया। कंपनी ने सिंबियन आपरेटिंग पर नोकिया एन95 और एनगेज जैसे कई बेहतरीन डिवायस लांच किया जो अपने परपफार्मेंस के लिए आज भी याद किए जाते हैं। वहीं कम्यूनिकेटर की भी लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है।
सिंबियन फाउंडेशन
मोबाइल आपरेटिंग सिस्टम सिंबियन का विकास व सुधार का पूर्ण अधिकार सिंबियन पफांडेशन को था। सिंबियन फाउंडेशन एक बिना लाभ कमाने वाली संस्था थी। संस्था का गठन नोकिया, सोनी एरिक्सन, एनटीटी डोकोमो, एयरटेल, टैक्सेस इंस्टूमेंट, वोडाफोन, सैमसंग, एरिक्सन और एटी एंड टी द्वारा किया गया था। संस्था का मुख्य उद्देश्य रोयाल्टि मुक्त ओपेन सोर्स एप्लिकेशन बनाना था। लेकिन बाद में इसका पूरा अधिककार नोकिया के पास चला गया।
क्यों खास था सिंबियन
सिंबियन मोबाइल की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि विश्व का यह पहला आपेन सोर्स प्लेटफॉर्म था। अर्थात यह आपरेटिंग थर्ड पार्टी एप्लीकेशन सपोर्ट करने में सक्षम था।
वर्ष 2010 तक सिंबियन विश्व में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला मोबाइल आपरेटिंग सिस्टम था। उस वक्त विश्व में स्मार्टफोन उपयोग करने वाले कुल उपभोक्ताओं में 49.3 फीसदी से भी ज्यादा उपभोक्ता सिंबियन मोबाइल आपरेटिंग का उपयोग कर रहे थे। 26 देशों में 70 से भी ज्यादा हैंडसेट माडल सिंबियन आपरेटिंग आधारित थे। यह सिंबियन का स्वर्ण युग था। उस वक्त यह एकमात्र प्लेटफार्म था जो जावा एमई, एडोबी फलैश लाइट, नैटीव सिंबियन, सी++, ओपेन सी/सी++, पैथोन, और फूल वेब टूलकिट को सपोर्ट करता था।
सिंबियन आपरेटिंग की लोकप्रियता के अन्य कारणों में इसका आसान उपयोग भी था। इस आपरेटिंग ने फोन के उपयोग को इतना आसान बना दिया कि आम उपभोक्ता भी स्मार्ट फोन के उपयोग में सक्षम हो गए। वहीं कम कीमत होना भी इसकी एक बड़ी खासियत थी। जबकि उस वक्त ब्लैकबेरी, आईओएस और विंडोज आपरेटिंग के फोन महंगे होते थे।
और एक दुखद अंत
एंडरायड आपरेटिंग लांच होने के बाद सिंबियन आपरेटिंग की लोकप्रियता में लगातार कमी आती गई और अंततः इस आपरेटिंग को बंद करना पड़ा। लोकप्रियता की कमी का करण था कि सिंबियन आपरेटिंग की अपनी सिमाएं थी। टच स्क्रीन फोन लोकप्रिय हो रहे थे और सिंबियन खास तौर से कीपैड वाले फोन के लिए था। हालांकि बाद में सिंबियन आपरेटिंग पर टच स्क्रीन फोन भी लाए गए लेकिन वे एप्लिकेशन और गेमिंग में एंडरायड और आईओएस के मुकाबले काफी पीछे थे।
वहीं स्क्रीन रेजल्यूशन सपोर्ट और प्रोसेसिंग के मामले भी सिंबियन एंडरायड और आईओएस के मुकाबले काफी पिछड़ गया। इस आपरेटिंग के लिए बेहतर गेम और एप्लिकेशन भी नहीं बनाए जा सकते थे। इन कमियों ने सिंबियन को पीछे छोड़ दिया।
स्मार्टफोन बाजार में गिरते साख के बाद फरवरी, 2011 में नोकिया ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ समझौता किया और यह भी घोषणा कर दी कि सिंबिंयन आपरेटिंग को धीरे-धीरे बंद कर दिया जाएगा। यहीं से इसके अंत की शुरुआत हो गई। इसके बाद सिंबियन आपरेटिंग के कुछ अपडेट सिंबियन बैले और मिगो इत्यादि भी आए लेकिन बहुत सफल नहीं हुए।
वर्ष 2012 में नोकिया के स्मार्टफोन के शिपमेंट में 2010 के मुकाबले 65 फीसदी की गिरावट देखी गई। हालांकि आशा सीरीज में कंपनी आज भी अच्छा कर रही है लेकिन स्मार्ट फोन में पांच फीसदी से भी कम का हिस्सा रह गया है। जबकि वर्ष 2007 में भारतीय मोबाइल बाजार में नोकिया की हिस्सेदारी 58 पफीसदी थी। जीएसएम हैंडसेट के तो 70 फीसद से भी अधिक कारोबार पर उसका कब्जा था।
सिंबियन आपरेटिंग पर लांच होने वाला अंतिम फोन नोकिया प्योरव्यू 808 था। 41.0 मेगापिक्सल पर लांच होने वाला विश्व का पहला फोन आज भी लोंगों के जहन में है। परंतु इसके लांच के वक्त कोई नहीं जान रहा था कि सिंबियन फिर किसी नए फोन में देखने को नहीं मिलेगा।
इस नए वर्ष में केंपनी ने सिंबियन आपरेटिंग पर किसी भी नए फोन निर्माण और आपरेटिंग के अपडेट को बंद करने की घोषणा कर दी है। हालांकि इसे एक दुखद अंत कहा जाएगा लेकिन सिंबियन अपने पीछे स्मार्टफोन का एक लंबा इतिहास छोड़ गया। और आज भले की एंडरायड और आईओएस का दबदबा है लेकिन स्मार्टफोन का जनक सिंबियन ही कहा जाएगा।
सिंबियन सफ़र
सिंबियन आपरेटिंग को स्मार्ट मोबाइल कंप्यूटिंग का जनक कहा जा सकता है। वर्ष 1980 में डेविड पोर्टर ने सिनक्लेयर पर्सनल कंप्यूटर के लिए गेम और विशेष सॉफ्टवेयर का विकास किया था जिसे पीसीआन नाम दिया गया। इसी प्रोग्राम के तहत पीसीआन आर्गेनाइजर ने सन 1984 में विश्व का पहला हैंडहेल्ड कंप्यूटर बनाने में मदद की। इसकी खासियत यह थी कि यह इस्तेमाल में तो आसान था ही साथ ही बेहतर तरीके से डाटा बेस प्रोग्रामिंग को सपोर्ट करने में सक्षम था। पीसीआन की उपयोगिता और बढ़ती लोकप्रियता ने इसे और बेहतर करने के लिए प्रेरित किया। इस
क्षेत्र में ऐतिहासिक पल वह
आया जब पीसीआन और फोन निर्माता कंपनियो ने एक साझा कार्यक्रम के तहत
सिंबियन आपरेटिंग सिंस्टम की नींव रखी।
सिंबियन के विकास के लिए यह समझौता वर्ष 1998 में सॉफ्टवेयर कंपनी पीसीआन और मोबाइल निर्माता कंपनी सोनी एरिक्सन, मोटोरोला और नोकिया के बीच किया गया। इसके बाद वर्ष 2000, नवंबर में सिंबियन मोबाइल आपरेटिंग सिस्टम पर लांच होने वाला पहला फोन था सोनी एरिक्सन आर380। वर्ष 2001 में नोकिया कम्यूनिकेटर आया जो ओपेन सोर्स एप्लिकेशन सपोर्ट करने में सक्षम था। विशेष फीचर के तौर पर इसमें ब्लूटूथ जोड़ा गया। सिंबियन की विशेषता और उपयोगिता ने इसे नित नई उंचाइयों को छूने को आतूर कर दिया। इसी का परिणाम था कि वर्ष 2006 तक सिंबियन उपभोक्ताओं की संख्या 100 मिलियन से भी ज्यादा हो चुकी थी। परंतु इस क्षेत्र में नया मोड़ तब आया जब नोकिया ने वर्ष 2008 में सिंबियन के पूर्ण अधिकार को खरीद लिया और सिंबियन फाउंडेशन का गठन किया। कंपनी ने सिंबियन आपरेटिंग पर नोकिया एन95 और एनगेज जैसे कई बेहतरीन डिवायस लांच किया जो अपने परपफार्मेंस के लिए आज भी याद किए जाते हैं। वहीं कम्यूनिकेटर की भी लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है।
सिंबियन फाउंडेशन
मोबाइल आपरेटिंग सिस्टम सिंबियन का विकास व सुधार का पूर्ण अधिकार सिंबियन पफांडेशन को था। सिंबियन फाउंडेशन एक बिना लाभ कमाने वाली संस्था थी। संस्था का गठन नोकिया, सोनी एरिक्सन, एनटीटी डोकोमो, एयरटेल, टैक्सेस इंस्टूमेंट, वोडाफोन, सैमसंग, एरिक्सन और एटी एंड टी द्वारा किया गया था। संस्था का मुख्य उद्देश्य रोयाल्टि मुक्त ओपेन सोर्स एप्लिकेशन बनाना था। लेकिन बाद में इसका पूरा अधिककार नोकिया के पास चला गया।
क्यों खास था सिंबियन
सिंबियन मोबाइल की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि विश्व का यह पहला आपेन सोर्स प्लेटफॉर्म था। अर्थात यह आपरेटिंग थर्ड पार्टी एप्लीकेशन सपोर्ट करने में सक्षम था।
वर्ष 2010 तक सिंबियन विश्व में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला मोबाइल आपरेटिंग सिस्टम था। उस वक्त विश्व में स्मार्टफोन उपयोग करने वाले कुल उपभोक्ताओं में 49.3 फीसदी से भी ज्यादा उपभोक्ता सिंबियन मोबाइल आपरेटिंग का उपयोग कर रहे थे। 26 देशों में 70 से भी ज्यादा हैंडसेट माडल सिंबियन आपरेटिंग आधारित थे। यह सिंबियन का स्वर्ण युग था। उस वक्त यह एकमात्र प्लेटफार्म था जो जावा एमई, एडोबी फलैश लाइट, नैटीव सिंबियन, सी++, ओपेन सी/सी++, पैथोन, और फूल वेब टूलकिट को सपोर्ट करता था।
सिंबियन आपरेटिंग की लोकप्रियता के अन्य कारणों में इसका आसान उपयोग भी था। इस आपरेटिंग ने फोन के उपयोग को इतना आसान बना दिया कि आम उपभोक्ता भी स्मार्ट फोन के उपयोग में सक्षम हो गए। वहीं कम कीमत होना भी इसकी एक बड़ी खासियत थी। जबकि उस वक्त ब्लैकबेरी, आईओएस और विंडोज आपरेटिंग के फोन महंगे होते थे।
और एक दुखद अंत
एंडरायड आपरेटिंग लांच होने के बाद सिंबियन आपरेटिंग की लोकप्रियता में लगातार कमी आती गई और अंततः इस आपरेटिंग को बंद करना पड़ा। लोकप्रियता की कमी का करण था कि सिंबियन आपरेटिंग की अपनी सिमाएं थी। टच स्क्रीन फोन लोकप्रिय हो रहे थे और सिंबियन खास तौर से कीपैड वाले फोन के लिए था। हालांकि बाद में सिंबियन आपरेटिंग पर टच स्क्रीन फोन भी लाए गए लेकिन वे एप्लिकेशन और गेमिंग में एंडरायड और आईओएस के मुकाबले काफी पीछे थे।
वहीं स्क्रीन रेजल्यूशन सपोर्ट और प्रोसेसिंग के मामले भी सिंबियन एंडरायड और आईओएस के मुकाबले काफी पिछड़ गया। इस आपरेटिंग के लिए बेहतर गेम और एप्लिकेशन भी नहीं बनाए जा सकते थे। इन कमियों ने सिंबियन को पीछे छोड़ दिया।
स्मार्टफोन बाजार में गिरते साख के बाद फरवरी, 2011 में नोकिया ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ समझौता किया और यह भी घोषणा कर दी कि सिंबिंयन आपरेटिंग को धीरे-धीरे बंद कर दिया जाएगा। यहीं से इसके अंत की शुरुआत हो गई। इसके बाद सिंबियन आपरेटिंग के कुछ अपडेट सिंबियन बैले और मिगो इत्यादि भी आए लेकिन बहुत सफल नहीं हुए।
वर्ष 2012 में नोकिया के स्मार्टफोन के शिपमेंट में 2010 के मुकाबले 65 फीसदी की गिरावट देखी गई। हालांकि आशा सीरीज में कंपनी आज भी अच्छा कर रही है लेकिन स्मार्ट फोन में पांच फीसदी से भी कम का हिस्सा रह गया है। जबकि वर्ष 2007 में भारतीय मोबाइल बाजार में नोकिया की हिस्सेदारी 58 पफीसदी थी। जीएसएम हैंडसेट के तो 70 फीसद से भी अधिक कारोबार पर उसका कब्जा था।
सिंबियन आपरेटिंग पर लांच होने वाला अंतिम फोन नोकिया प्योरव्यू 808 था। 41.0 मेगापिक्सल पर लांच होने वाला विश्व का पहला फोन आज भी लोंगों के जहन में है। परंतु इसके लांच के वक्त कोई नहीं जान रहा था कि सिंबियन फिर किसी नए फोन में देखने को नहीं मिलेगा।
इस नए वर्ष में केंपनी ने सिंबियन आपरेटिंग पर किसी भी नए फोन निर्माण और आपरेटिंग के अपडेट को बंद करने की घोषणा कर दी है। हालांकि इसे एक दुखद अंत कहा जाएगा लेकिन सिंबियन अपने पीछे स्मार्टफोन का एक लंबा इतिहास छोड़ गया। और आज भले की एंडरायड और आईओएस का दबदबा है लेकिन स्मार्टफोन का जनक सिंबियन ही कहा जाएगा।
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