पहले आप कहीं घूमने का प्लान बनाते थे तो
सबसे पहले हाथ में कागज का एक बड़ा सा नक्शा लेकर उस पर जगह-जगह निशान
लगाते थे। इसके बाद दस लोगों को फोन कर या संपर्क कर स्थान के बारे में
पूरी जानकारी लेते थे। परंतु बात इतने से भी नहीं बनती थी। रास्तों के बारे
में यदि पूरी जानकारी प्राप्त न हो तो हर बार गाड़ी खड़ी कर किसी व्यक्ति
से सलाह लेनी होती थी। इन सबके बाद भी अक्सर रास्ता भटक जाने और खो जाने का
डर लगा होता था। परंतु अब ऐसा नहीं है। घूमने का प्लान अब भी बनाते हैं
लेकिन अब न कागज मैप होता है और न ही किसी संपर्क करने की जरूरत बस हाथ में
फोन लेकर निकल गए मंजिल की ओर।
रास्ता मार्क करने के बजाय अब नेवीगेशन पर पूरा रास्ता देख लेते हैं। इतना ही नहीं, फोन में एक असिस्टेंट भी होता है जो आपको कब, कहां और कितनी दूरी पर मुड़ना है। इन सबके बारे में भी जानकारी देता है। परंतु आपने कभी सोचा है कि मोबाइल पर ये सारी चीजें कैसे संभव हो पाती हैं? क्या आपके मोबाइल में कोई जादूगर है जिसे सारी चीजें पहले से पता होती हैं?
हां, यह जादू ही है। जादू भरी इस सेवा को जीपीएस (GPS) कहते हैं और मोबाइल में तो इस सेवा के साथ आकाशवाणी भी उपलब्ध है जो हर स्थान पर आपकी मदद करती है। जीपीएस फोन का कोई नया फीचर नहीं है लेकिन आज इसकी उपयोगिता इस कदर बढ़ गई है कि स्मार्टफोन की कल्पना बगैर इसके कर ही नहीं सकते। हालांकि शायद यह बात बहुत कम ही लोगों को मालूम है कि जीपीएस के उपयोग लिए स्मार्टफोन होना जरूरी नहीं है बल्कि साधरण फोन में भी इसे लगाया जा सकता है। परंतु मोबाइल निर्माता साधरण फोन में इसका उपयोग नहीं करते इस वजह से साधरण फीचर फोन में जीपीएस सेवा बहुत प्रचलित नहीं है।
क्या है जीपीएस
जीपीएस का आशय है ग्लोबल पोजिशनिंग
सिस्टम () जो किसी व्यक्ति, वस्तु और स्थान की वास्तविक स्थिति को बताता है।
यह हार्डवेयर आधारित न्यूनतम पावर पर कार्य करने वाली तकनीक है। जीपीएस
सेटलाइट आधरित नेवीगेशन सिस्टम है जो किसी वस्तु, व्यक्ति की लोकेशन और समय
की जानकारी मुहैया कराता है।
इसके लिए अंतरिक्ष में 24-32 सेटेलाइटों का एक समूह तैयार किया गया है जो पृथ्वी पर उपलब्ध जीपीएस (GPS) रिसीवर से नेटवर्क स्थापित करते हैं। ये सेटलाइट सातों दिन चैबीसों घंटे सूचना मुहैया कराते रहते हैं। उन सेटेलाइट से संपर्क बनाने के लिए मोबाइल फोन या जीपीएस डिवायस में जीपीएस रिसीवर लगा होता है और इन्हीं के माध्यम से डाटा का आदान-प्रदान होता है। जीपीएस के ये सेटेलाइटस पृथ्वी से लगभग 12 हजार मील की ऊंचाई पर स्थित हैं। एक जीपीएस सेटेलाइट अपने निश्चित कक्ष में लगभग 7 हजार किमी प्रति घंटा की गति से पृथ्वी का चक्कर लगाता है और एक दिन में दो बार पृथ्वी का चक्कर काटता है।
कैसे करता है कार्य
पृथ्वी
से ऊपर स्थित किए गए जीपीएस सेटेलाइटों (GPS satellite) का समूह हर वक्त फोन में उपलब्ध
रिसीवर से संपर्क बनाए रखता और उससे मिलने वाले संकेतों के आधार पर आपकी
स्थिति की जानकारी प्राप्त करता रहता है। प्रत्येक उपग्रह लगातार संदेश
रूपी संकेत प्रसारित करता रहता है।
जीपीएस रिसीवर उन डाटा को प्राप्त करता है और इस तरह एक साथ तीन सेटलाइट से सूचना प्राप्त कर वस्तु की वास्तविक स्थिति को बताता है। एक सेटेलाइट जिस समय पर डाटा ट्रांसमीट करता और रिसीवर पर जब डाटा रिसीव हो रहा है। रिसीवर इस समय अंतराल की गणना करता है। इसी तरह अलग-अलग सेटेलाइट से भी वह इसी तरह समय की गणना एक निश्चित स्थिति का पता लगा कर उसे फोन या अन्य जीपीएस डिवायस पर इलेक्ट्राॅनिक रूप से प्रदर्शित करता है।
फोन में जीपीएस के माध्यम से वस्तु स्थिति 2डी या 3डी दृश्य में प्रदर्शित होती है। 2डी दृश्य बनाने के लिए रिसीवर वस्तु की अक्षांश और देशांतर स्थिति की जानकारी प्राप्त करता है और इसमें कम से कम तीन सेटेलाइट की सूचना प्राप्त करता है। वहीं 3डी दृश्य प्रदर्शित करने के लिए रिसीवर चार से ज्यादा सेटेलाइट से संपर्क स्थापित करता है। इस दौरान रिसीवर अक्षांश, देशांतर और ऊंचाई के आधार पर सूचना प्रदर्शित करता है।
जीपीएस का सफर
आज का जीपीएस वर्षों की
मेहनत का परिणाम है। इस तकनीक के विकास का श्रेय अमेरिकी वैज्ञानिक डाॅ.
इवाॅन गेटिंग को जाता है जिन्होंने रोजर एल इस्टाॅन और ब्राॅडफोर्ड
पार्किंसन के साथ मिलकर जीपीएस सेवा का विकास किया। आज भी इस तकनीक का
विकास और नियंत्रण यूएस सेना के पास है। जीपीएस तकनीक की शुरुआत ही अमेरिका
की सेना द्वारा की गई है।
सबसे पहले वर्ष 1957 में सोवियत रूस ने स्पूतनिक
एयरक्राफ्ट को अंतरिक्ष में भेजा। इससे साफ हो गया था कि अंतरिक्ष में
किसी भी चीज को स्थापित किया जा सकता है। इस बात से प्रेरित होकर अमेरिका
ने वर्ष 1960 में ट्रांजिट सेटेलाइट को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित
किया। अमेरिका सरकार द्वारा इसे लाॅन्च किया गया जबकि अमेरिकी नौसेना ने
इसका परीक्षण किया।
उस वक्त पांच सेटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया जो पृथ्वी का चक्कर लगा रहे थे और अमेरिकी नौ-सेना की नौकाओं की स्थिति की जानकारी दे रहे थे। ट्रांजिट सेटेलाइट के बाद वर्ष 1967 में अमेरिका ने टाइमेशन सेटलाइट को कक्षा में स्थापित किया। पहले की अपेक्षा सूचना देने में ये सेटेलाइट ज्यादा सटीक और बेहतर थे। इसके बाद सेना ने जीपीएस सेवा पर काफी तेजी से कार्य करना शुरू कर दिया। 1978-1985 तक जीपीएस के लिए अमेरिकी सेना कुल 11 ब्लाॅक सेटेलाइट्स को कक्षा में स्थापित कर चुकी थी। परंतु इस वक्त तक जीपीएस का उपयोग सिर्फ सेना में ही किया जा रहा था।
वर्ष 1983 में एक ऐसा मोड़ आया जब अमेरिका की सरकार जीपीएस सेवा को आम उपभोक्ता तक मुहैया कराने तक सोचने लगी। 1983 में कोरिया का पैसेंजर विमान 007 सोवियत संघ के क्षेत्र में घुस गया और सोवियत संघ की सेना द्वारा उसे मार गिराया गया। इसमें सारे पैसेंजर मारे गए।
इसके बाद अमेरिकी सरकार इसे आम उपभोक्ता के लिए भी मुहैया कराने का मन बनाने लगी। परंतु कुछ तकनीकी अड़चनों की वजह से उस वक्त भी यह सेवा सबके लिए उपलब्ध नहीं हो सकी। अंततः वर्ष 1995 में वह मौका आ ही गया जब जीपीएस सेवा को सबसे लिए उपलब्ध कर दिया गया।
आज जीपीएस के लिए लगभग 30 सेटेलाइट
अंतरिक्ष में स्थापित किए जा चुके हैं। एक बार जीपीएस सेवा को दस्तक देने
के साथ ही इस पर कई नई सेवाओं और एप्लिकेशन का विकास किया जा रहा है। आज
जीपीएस की वजह से लोकेशन और वास्तविक स्थित के अलावा गाड़ी के लिए बेहतर
रूट, मैप, भूकंप रिसर्च और मौसम सहित कई अन्य सेवाओं को विस्तार संभव हो
गया है।
यहां जीपीएस ने डाली जान
ट्रैकिंग (चिन्हित करना):
जीपीएस सेवा की शुरुआत इसलिए नहीं की गई थी कि एक स्थान पर खड़ी किसी चीज
का पता लगाया जा सके बल्कि इसका सबसे ज्यादा फायदा किसी चीज को ट्रैक करने
में हुआ है। गाड़ी, व्यक्ति, जहाज और पानी का जहाज किस रूट पर जा रहे हैं,
किस स्थान पर हैं और उसकी गति क्या ये सारी जानकारियां जीपीएस के माध्यम से
मालूम की जा सकती हैं।
सुरक्षा: इस सेवा के तहत आप न सिर्फ ट्रैक कर सकते हैं बल्कि अपनी लोकेशन को भी शेयर कर सकते हैं। सुरक्षा के लिहाज से यह बेहद ही अहम है। किस वक्त आप कहां हैं और किस रूट में जा रहे हैं यह जानकारी भी शेयर कर सकते हैं।
रूट: आप कहीं अनजान जगह जा रहे होते हैं तो मैप के माध्यम से आपके लिए बेहतर रूट बता देता है। इसके साथ ही यह भी जानकारी प्रदान करता है कि आपके लिए बेहतर रूट कौन सा होगा।
जियो टैग: यह सेवा हाल में काफी प्रचलित हुई है। इसमें आप अपने फोटोग्राफ को मैप के साथ टैग कर सकते हैं और दूसरा व्यक्ति पता लगा सकता है कि यह फोटोग्राफ किस लोकेशन में और किसी समय में खींची गई है।
नेवीगेशन: इस सेवा में जीपीएस ने जान डाल दी है। मोबाइल पर आपने ड्राइव और रूट नाम से सेवा देखी होगी। यह जीपीएस के माध्यम से ही संभव हो पाया है। इतना ही नहीं, अब यह सेवा इतनी बेहतर हो गई है कि गाड़ी चलाते समय न सिर्फ आपको बेहतर रूट की जानकारी देगी बल्कि वायस मैप और वाॅयस असिस्टेंट के माध्यम से आपको गाइड भी करेगी कि आपकी गाड़ी किस गति से चल रही है, आप कितने समय में गंतव्य स्थान तक पहुंच जाएंगे और आपकी स्थित से कितनी दूरी बची है। इतना ही नहीं, आपको हर मोड़ और हर स्थान पर भी जानकारी प्रदान करेगी कि किस ओर मुड़ना है। हालांकि इसमें मैप (नक्शा) की भूमिका भी अहम होती है जो आपके फोन में एप्लिकेशन के माध्यम से इंस्टाॅल होता है और सेवा प्रदाता द्वारा समय-समय पर उसे अपडेट भी किया जाता है।
आॅग्मेंटेड रियालिटी: जीपीएस के साथ जुड़ने वाला ये नया और खास फीचर है। यह सेवा इतनी बेहतर है कि आपने पहले इसकी कल्पना भी नहीं की होगी बस किसी दीवार, मीनार और सड़क की दिशा में कैमरा आॅन करना है और उससे संबंधित जानकारी आपके फोन पर होगी।
यह तो छोटी बात रही। इससे भी बड़ी बात यह है कि आप अपने फोन का कैमरा आॅन कर अपने चारों ओर घुमाते रहेंगे और आपका फोन आपके आस-पास रेस्टोरेंट, बैंक, एटीएम और ट्रांसपोर्ट सहित कई अन्य जानकारियां मुहैया कराएगा। आपने फोन पर नियर बाई, हियर सिटी लेंस और अराउंड मी जैसी कई सेवाओं के बारे में सुना होगा। ये सारी एप्लिकेशन जीपीएस के माध्यम से ही कार्य करती हैं।
इसके साथ ही जीपीएस अब आपको यह भी सूचना मुहैया कराने में सक्षम है कि किस स्टोर पर कितनी छूट है और आपसे कितनी दूर है। फोन में कई एप्लिकेशन हैं जो आपके आस-पास दी जा रही खरीदारी पर छूट और बेस्ट डील के बारे में भी जानकारी देते हैं।
स्वास्थ्य: जीपीएस सेवा का उपयोग आजकल स्वास्थ्य के लिए भी किया जा रहा है। इसके तहत आपने एक दिन में कितनी पैदल यात्रा की। किस गति से की इत्यादि की जानकारी फोन प्राप्त करता है।
मौसम: मौसम का मिजाज और तापमान बताने के लिए भी जीपीएस का उपयोग किया जाता है। इससे आप एक स्थान पर रह कर किसी अन्य स्थान के मौमस, तापमान और नमी तक की सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
डाटा: डाटा के लिहाज से भी यह बेहद महत्वपूर्ण है। रूट और नक्शा सहित कई अन्य प्रकार की जानकारी में जीपीएस अहम है। यात्राी किस रूट का उपयोग ज्यादा कर रहे हैं। किस रूट में जाम है और कहां क्या बाध आ रही है ये सारी सूचनाएं जीपीएस के माध्यम से उपलब्ध् हो जाती है जो रूट और नक्शा बनाने में कारगर साबित होता है।
Comments
Post a Comment