इसे सरकार की कामयाबी कहें या फिर राजनीति, पिछली कई बार जहां 2जी स्पेक्ट्रम सरकार के लिए किरकिरी बनी हुई थी वहीं इस बार 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी से सरकार को उम्मीद से ज्यादा कामयाबी मिली। 2जी के इस खेल पर मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट।
मोबाइल टेलीफोन क्षेत्र में हर रोज नई तकनीकी के बारे में जानने को मिलता है। परंतु 2जी ऐसा नाम है जो भारतीय मोबाइल जगत में हमेशा से ही चर्चा में रहा है। चाहे वह चर्चा अच्छी हो या बुरी। पहले 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस, उसके बाद 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, तब आया सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2जी लाइसेंस रद्द का मामला और पिफर 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी। हर बार 2जी स्पेक्ट्रम को लेकर भारत में चर्चा का बाजार गर्म होता ही रहा है।
पिछले कुछ दिनों से 2जी स्पेक्ट्रम एक बार फिर से बेहद चर्चा में है। हां, इस बार पिछली कई बार की तरह हो-हल्ला और बयानबाजी नहीं है। क्योंकि इस बार 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से सरकार को उम्मीद से बढ़कर फायदा हुआ है। वहीं नियमों के दायरे में रहकर की गई इस नीलामी की वजह से किसी को कुछ बोलने का भी मौका नहीं दिया गया या यूं कहें कि इस चुनावी माहौल में 2जी स्पेक्ट्रप पर सबने फिलहाल चुप्पी साधे रहना ही बेहतर समझा।
पिछले कुछ दिनों से 2जी स्पेक्ट्रम एक बार फिर से बेहद चर्चा में है। हां, इस बार पिछली कई बार की तरह हो-हल्ला और बयानबाजी नहीं है। क्योंकि इस बार 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से सरकार को उम्मीद से बढ़कर फायदा हुआ है। वहीं नियमों के दायरे में रहकर की गई इस नीलामी की वजह से किसी को कुछ बोलने का भी मौका नहीं दिया गया या यूं कहें कि इस चुनावी माहौल में 2जी स्पेक्ट्रप पर सबने फिलहाल चुप्पी साधे रहना ही बेहतर समझा।
महंगाई का मुद्दा तो पूरे देश में छाया है लेकिन यूपीए सरकार की किरकिरी करने में 2जी पहला और सबसे बड़े मुद्दों में से एक था। 2 जी घोटाले में संतरी से लेकर मंत्री तक की संलिप्तता से आम लोगों के बीच सरकार की छवि बेहद ही खराब हो गई थी। वहीं पिछली बार 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में मिली विफलता ने न सिर्फ देश में यूपीए सरकार की नाकामी साबित की थी बल्कि विदेशी निवेशकों के बीच भी असंतोष का माहौल पैदा कर दिया था।
लोकसभा का चुनाव जल्द ही होने वाला है और ऐसे माहौल में सरकार भी नहीं चाहती कि उसकी छवि और खराब हो। भ्रष्टाचार और नाकामी का खामियाजा यूपीए सरकार दिल्ली सहित चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भुगत चुकी है। पूरा माहौल ऐसा हो चुका था कि सरकार को आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर और अपनी साख बचाए रखने के लिए किसी भी हाल में इस बार 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी को सफल बनाना था और अंततः कई नाकामियों के बाद इस बार सरकार को सफलता हाथ लग गई। 2जी स्पेक्ट्रम में सरकार को उम्मीद से ज्यादा राजस्व की प्राप्ति हुई।
इस बार 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी कई मायनों में खास थी। जहां एक ओर सरकार की साख थी वहीं कई बड़ी कंपनियों को फिर से लाइसेंस प्राप्त करना था।
एयरटेल और वोडाफोन जैसी बड़ी कंपनियों जिन्होंने भारत में मोबाइल सेवा के शुरुआत में ही 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस प्राप्त कर लिया था, के कई सर्किलों में लाइसेंस समाप्त हो रहे थे।
वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2012 में रद्द किए गए 2जी लाइसेंस को पुनः आवंटित करना था। वर्ष 2012 में लाइसेंस आवंटन में अनियमितता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 122 टेलीकाॅम लाइसेंस को रद्द कर दिया था और इन्हें पुनः आवंटित करने का आदेश दिया था।
हालांकि इससे पहले एक रद्द किए गए स्पेक्ट्रम की नीलामी की कोशिश की गई थी लेकिन उस वक्त सफलता हाथ नहीं लगी। इसलिए बचे लाइसेंस का भी आवंटन करना था।
एयरटेल और वोडाफोन जैसी बड़ी कंपनियों जिन्होंने भारत में मोबाइल सेवा के शुरुआत में ही 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस प्राप्त कर लिया था, के कई सर्किलों में लाइसेंस समाप्त हो रहे थे।
वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2012 में रद्द किए गए 2जी लाइसेंस को पुनः आवंटित करना था। वर्ष 2012 में लाइसेंस आवंटन में अनियमितता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 122 टेलीकाॅम लाइसेंस को रद्द कर दिया था और इन्हें पुनः आवंटित करने का आदेश दिया था।
हालांकि इससे पहले एक रद्द किए गए स्पेक्ट्रम की नीलामी की कोशिश की गई थी लेकिन उस वक्त सफलता हाथ नहीं लगी। इसलिए बचे लाइसेंस का भी आवंटन करना था।
देश के कुल 22 टेलीकाॅम सर्किलों में 900 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड और 1800 मेगाहर्ट्ज स्पैक्ट्रम के लिए बोली लगानी थी। डीओटी द्वारा नीलामी के लिए 385 मेगाहर्ट्ज ब्लाॅक 1800 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम बैंड के लिए थे जबकि 900 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए 46 ब्लाॅक की बोली लगाई गई। 1800 मेगाहर्ट्ज स्पैक्ट्रम बैंड के लिए बेस प्राइस 1765 करोड़ रुपए निर्धारित की गई थी जो कि पहले के बेस प्राइस से लगभग 26 फीसदी तक कम था।
900 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड का बेस प्राइस सर्किल के हिसाब से निर्धारित थी। 360 करोड़ प्रति मेगाहर्ट्ज दिल्ली के लिए, 328 करोड रुपए प्रति मेगाहर्ट्ज मुंबई के लिए और 125 करोड़ रुपए प्रति मेगाहर्ट्ज कोलकाता के लिए बोली लगाने से पहले अदा करना था। यह कीमत पहले के स्पेक्ट्रम बेस प्राइस से लगभग 53 फीसदी कम था। सरकार को आशा थी कि इस नीलामी से लगभग 48,000 करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति होगी। जबकि आशा से बढ़कर इस बार लगभग 61,162 करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति हुई।
3 फरवरी, 2014 से शुरू हुई इस नीलामी प्रक्रिया में एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया सेल्यूलर, रिलायंस जियो, एयरसेल, टाटा टेलीसर्विसेज, टेलीविंग्स (यूनिनाॅर) और रिलायंस कम्यूनिकेशंस सहित 8 कंपनियों ने भाग लिया। 2जी स्पेक्ट्रम के लिए यह नीलामी प्रक्रिया लगभग 10 दिनों तक चली जिसमें 68 राउंड तक बोलियां लगीं। अंततः 13 फरवरी को पूरी प्रक्रिया समाप्त हो गई।
इससे पहले 2010 में 3जी लाइसेंस के लिए 34 दिनों और बीडब्ल्यूए लाइसेंस के लिए 16 दिन तक बोलियां लगाई गईं थीं। जबकि नवंबर 2012 में 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया 2 दिनों में ही खत्म हो गई थी। अब 2जी स्पेक्ट्रम प्राप्त करने वाली कंपनियों को शुरुआत में पेशगी 27 फरवरी 2014 तक जमा करानी थी लेकिन अब सरकार ने इस अवधि को बढ़ाकर 3 मार्च तक कर दिया है। बाकी पेमेंट अलग-अलग किस्तों में देनी होगी।
इससे पहले 2010 में 3जी लाइसेंस के लिए 34 दिनों और बीडब्ल्यूए लाइसेंस के लिए 16 दिन तक बोलियां लगाई गईं थीं। जबकि नवंबर 2012 में 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया 2 दिनों में ही खत्म हो गई थी। अब 2जी स्पेक्ट्रम प्राप्त करने वाली कंपनियों को शुरुआत में पेशगी 27 फरवरी 2014 तक जमा करानी थी लेकिन अब सरकार ने इस अवधि को बढ़ाकर 3 मार्च तक कर दिया है। बाकी पेमेंट अलग-अलग किस्तों में देनी होगी।
किसने क्या पाया
वोडाफोन- आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, कोलकाता, मुंबई, पंजाब, राजस्थान और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित कुल 11 सर्किल में लाइसेंस हासिल करने में सक्षम रहा। इसके लिए कंपनी ने कुल 19,644.72 करोड़ रुपए तक की बोली लगाई। लाइसेंस के लिए कंपनी को अब शुरुआत में 5,581.9 करोड़ रुपए अदा करने होंगे जबकि बाकी की रकम 2,769.3 करोड़ रुपए की दस किस्त में भुगतान करनी होगी।
एयरटेल- आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, केरल, कोलकाता, मध्य प्रदेश, मुंबई, उत्तर पूर्व, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सहित 15 सर्किल के लिए लाइसेंस प्राप्त करने में सफल रही।
कंपनी ने नीलामी के दौरान कुल 18,529.64 करोड़ रुपए की बोली लगाई है। जबकि कंपनी शुरुआत में 5,424.9 करोड़ रुपए अदा करेगी और 2,580.6 करोड़ रुपए की दस किस्त अदा करेगी।
एयरसेल- एयरसेल जम्मू कश्मीर, उत्तर-पूर्व, राजस्थान, उत्तर प्रदेश पूर्व और पश्चिम बंगाल सहित 5 सर्किलों के लिए लाइसेंस प्राप्त कर सकी। 2जी के लिए एयरसेल ने अधिकतम 209.9 करोड़ रुपए तक बोली लगाई। शुरुआत में कंपनी को 69.27 करोड़ रुपए अदा करने हैं जबकि इसको 27,69 करोड़ की दस किस्त भी देनी होंगी।
आइडिया सेल्यूलर- आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मुंबई, उत्तर-पूर्व और पंजाब सहित कुल 11 सर्किल के लिए लाइसेंस प्राप्त करने में सफल हो सकी। कंपनी ने कुल सर्किल के लिए 10,715.63 करोड़ रुपए तक की बोली लगाई। अब शुरुआत में 3,239.8 करोड़ रुपए अदा करेगी जबकि 1,472.2 करोड़ रुपए की दस किस्त देनी होंगी।
रिलायंस जियो- आंध् प्रदेश, असम, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, केरल, कोलकाता, मध्य प्रदेश, महाराष्ट, मुंबई, उत्तर पूर्व, उड़ीसा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सहित 14 सर्किल के लिए 2जी लाइसेंस प्राप्त करने में सक्षम रही।
कंपनी ने बिहार के लिए भी बोली लगाई थी लेकिन लाइसेंस प्राप्त नहीं हुआ। रिलायंस जियो ने 14 सर्किल के लिए कुल 11,054.41 करोड़ रुपए तक की बोली लगाई।
टेलीविंग्स (यूनिनाॅर)- आंध् प्रदेश, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश पूर्व और उत्तर प्रदेश पश्चिम के लिए लाइसेंस प्राप्त कर पाई। कंपनी ने 5 सर्किल में लाइसेंस के लिए कुल 844.72 करोड़ रुपए की बोली लगाई।
रिलायंस कम्यूनिकेशन- रिलायंस कम्यूनिकेशन 3जी लाइसेंस के लिए जितना उत्तेजित था, 2जी स्पेक्ट्रम में उतना दम नहीं दिखाया। कंपनी ने सिर्फ मुंबई सर्किल के लिए कुल 163.2 करोड़ तक की बोली लगाई।
नीलामी में क्या था खास
2जी स्पेक्ट्रम नीलामी 2014 में कई बातें खास थीं और इसके सफल होने की उम्मीद पहले ही की जा चुकी थी। इस वर्ष नवंबर में एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सहित कई बड़ी कंपनियों के 2जी लाइसेंस समाप्त होने वाले थे जबकि ये कंपनियां पहले से भारत में अपनी बेहतर पैठ बनाए हुए हैं। जहां एयरटेल भारत की नंबर एक सेवा प्रदाता कंपनी है।
वहीं वोडाफोन नंबर दो और आइडिया नंबर 3 पर काबिज है। इनमें से कोई भी कंपनी फिलहाल ऐसे हाल में नहीं है कि अपनी सेवाएं बंद करे।
ऐसे में पुनः लाइसेंस प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती थीं। हां, छोटी या नई कंपनियों ने इस बार बहुत उत्साह नहीं दिखाया क्योंकि उन्हें मालूम था कि वे इन दिग्गजों के आगे ठहर नहीं सकतीं।
इन बड़ी कंपनियों के अलावा जो सबसे खास था वह था मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो। अंबानी बंधु ने जब कारोबार अलग किया तो यह खबर थी कि दोनों एक-दूसरे के क्षेत्र में दस्तक नहीं देंगे।
परंतु वर्ष 2010 में मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो ने बीडब्ल्यूए के लिए बोली लगाई और देश के सभी 22 सर्किलों के लिए 4जी एलटीई लाइसेंस प्राप्त करने में सफल भी रही।
इसके बाद से ही मोबाइल जगत में रिलायंस जियो को लेकर चर्चा का बाजार गर्म हो चुका था। क्योंकि रिलायंस शुरू से ही खेल को बदलने के लिए जानी जाती है। कंपनी ने जब 2003 में मोबाइल बाजार में दस्तक दी थी तो उस वक्त भी कुछ ऐसा नजारा पेश किया कि सभी फीके पड़ गए थे।
4जी में आते ही कंपनी ने सभी 22 सर्किल के लिए लाइसेंस प्राप्त कर लिया और अब 14 सर्किल के लिए 2जी का भी लाइसेंस प्राप्त है। ऐसे में भविष्य में फिर से भारतीय मोबाइल जगत में हम बेहतर बदलाव के बारे में कामना कर सकते हैं।
किस आॅपरेटर ने कहां मारी बाजी
एक नजर में 2जी स्पेक्ट्रम
वहीं वोडाफोन नंबर दो और आइडिया नंबर 3 पर काबिज है। इनमें से कोई भी कंपनी फिलहाल ऐसे हाल में नहीं है कि अपनी सेवाएं बंद करे।
ऐसे में पुनः लाइसेंस प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती थीं। हां, छोटी या नई कंपनियों ने इस बार बहुत उत्साह नहीं दिखाया क्योंकि उन्हें मालूम था कि वे इन दिग्गजों के आगे ठहर नहीं सकतीं।
इन बड़ी कंपनियों के अलावा जो सबसे खास था वह था मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो। अंबानी बंधु ने जब कारोबार अलग किया तो यह खबर थी कि दोनों एक-दूसरे के क्षेत्र में दस्तक नहीं देंगे।
परंतु वर्ष 2010 में मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो ने बीडब्ल्यूए के लिए बोली लगाई और देश के सभी 22 सर्किलों के लिए 4जी एलटीई लाइसेंस प्राप्त करने में सफल भी रही।
इसके बाद से ही मोबाइल जगत में रिलायंस जियो को लेकर चर्चा का बाजार गर्म हो चुका था। क्योंकि रिलायंस शुरू से ही खेल को बदलने के लिए जानी जाती है। कंपनी ने जब 2003 में मोबाइल बाजार में दस्तक दी थी तो उस वक्त भी कुछ ऐसा नजारा पेश किया कि सभी फीके पड़ गए थे।
4जी में आते ही कंपनी ने सभी 22 सर्किल के लिए लाइसेंस प्राप्त कर लिया और अब 14 सर्किल के लिए 2जी का भी लाइसेंस प्राप्त है। ऐसे में भविष्य में फिर से भारतीय मोबाइल जगत में हम बेहतर बदलाव के बारे में कामना कर सकते हैं।
किस आॅपरेटर ने कहां मारी बाजी
- वोडाफोन- आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, कोलकाता, मुंबई, पंजाब, राजस्थान और पूर्वी उत्तर प्रदेश
- एयरटेल- आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, केरल, कोलकाता, मध्य प्रदेश, मुंबई, उत्तर पूर्व, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल
- एयरसेल- जम्मू कश्मीर, उत्तर पूर्व, राजस्थान, उत्तर प्रदेश पूर्व और पश्चिम बंगाल
- आइडिया सेल्यूलर- आंध् प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मुंबई, उत्तर पूर्व और पंजाब
- रिलायंस जियो- आंध्र प्रदेश, असम, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, केरल, कोलकाता, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र मुंबई, उत्तर पूर्व, उड़ीसा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल
- टेलीविंग्स (यूनिनाॅर)- आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश पूर्व और उत्तर प्रदेश पश्चिम
- रिलायंस कम्यूनिकेशन- मुंबई
एक नजर में 2जी स्पेक्ट्रम
- मई 2007 ए राजा बने दूरसंचार मंत्री।
- जनवरी 2008 डीओटी ने स्वान सहित 120 नए टेलीकाॅम लाइसेंस जारी किए।
- अक्टूबर 2008 स्वान टेलीकाॅम को 2 बिलियन डाॅलर चुकाकर एतिसलात स्वान टेलीकाॅम में पार्टनर बना।
- स्वान को न्यूनतम मूल्य पर स्पैक्ट्रम का आवंटन।
- नवंबर 2008 सेंट्रल विजिलेंस कमिशन ने राजा को नोटिस जारी किया।
- अक्टूबर 2009 सीबीआई ने 2जी घोटाले पर केस दायर किया।
- अप्रैल 2010 नीरा राडिया से राजा की हुई बातचीत का टेप मीडिया में उजागर।
- नवंबर 2010 सीएजी ने रिपोर्ट दायर की, राजा पर इस्तीफे का दबाव बढ़ा।
- नवंबर 2010 राजा को मंत्री पद छोड़ना पड़ा।
- 15 दिसंबर 2010 राजा और सहयोगियों के घर पर सीबीआई के छापे।
- 2 फरवरी 2011 राजा को हिरासत में लिया गया।
- 20 मई 2011 कणीमोझी को हिरासत में लिया गया।
- 28 नवंबर 2011 कणीमोझी जमानत पर रिहा।
- 2 फरवरी 2012 सुप्रीम कोर्ट द्वारा 122 टेलीकाॅम लाइसेंस रद्द किए गए।
- 13 नवंबर 2012 सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए गए लाइसेंस के पुनः आवंटन के लिए नीलामी शुरू।
- 15 नवंबर 2012 नीलामी खत्म, सिर्फ 108 लाइसेंस के लिए ही लगीं बोलियां।
- 3 फरवरी 2014 2जी लाइसेंस के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू। कंपनियों ने दिखाया उत्साह।
- 13 फरवरी 2014 10 दिनों तक चली लाइसेंस प्रक्रिया खत्म। सफल रही नीलामी। सरकार को 61 हजार करोड़ से ज्यादा की लगी बोली।
- 16 फरवरी 2014 वोडाफोन इंडिया के एमडी व सीईओ का बयान, टैरिफ बढ़ाने की जरूरत।
Comments
Post a Comment