एंडराॅयड आॅपरेटिंग में नोकिया के दस्तक देने के साथ ही यह
बहस शुरू हो गई है कि क्या कंपनी फिर से अपनी पुरानी स्थिति पाने में सफल
होगी। नोकिया एंडराॅयड को लेकर जारी इस चर्चा पर मुकेश कुमार सिंह की खास
रिपोर्ट।
पिछले साल के अंत तक ही खबर आई कि नोकिया एंडराॅयड (#Nokia Android) आॅपरेटिंग आधारित फोन बना रहा है। खबर के साथ नोकिया एंडराॅयड फोन (Nokia Android Phone) की तस्वीर भी छापी गई। हालांकि यह तस्वीर अधिकिारिक नहीं थी लेकिन नोकिया एंडराॅयड फोन (Android Phone) बनाने की खबर की पुष्टि करने के लिए काफी थी। यह सूचना मोबाइल जगत में सनसनी की तरह फैल गई। उस वक्त कुछ लोगों ने इसे अफवाह भी करार दिया। परंतु 24 फरवरी 2014 आखिर वह दिन आ ही गया जब कंपनी ने अपने एंडराॅयड आॅपरेटिंग फोन नोकिया एक्स की घोषणा कर दी। कंपनी ने फोन में उपयोग किए गए आॅपरेटिंग को एंडराॅयड का नाम नहीं दिया है लेकिन इस बात को स्वीकार किया है कि एंडराॅयड आॅपरेटिंग पर ही आधारित है। नोकिया (#Nokia) ने बर्सिलोना में आयोजित मोबाइल वल्र्ड कांग्रेस के दौरान नोकिया एक्स (Nokia X), नोकिया एक्सएल (Nokia XL)और नोकिया एक्स+ (Nokia X+) सहित तीन फोन का प्रदर्शन किया जिनमें एंडराॅयड आॅपरेटिंग (Android Operating) का प्रयोग किया गया है। बर्सिलोना में प्रदर्शन के बाद मार्च में इनमें से एक माॅडल नोकिया एक्स (Nokia X) भारत में भी उपलब्ध हो गया और बाकी के दो फोन जल्द ही उपलब्ध होने वाले हैं। एंडराॅयड आॅपरेटिंग में नोकिया के दस्तक देने के साथ ही यह बहस फिर से शुरू हो गई है कि क्या कंपनी फिर से अपनी पुरानी स्थिति पाने में सफल होगी और एंडराॅयड फोन के आने से नोकिया विंडोज फोन की क्या स्थिति होगी?
नोकिया राज
यह बात सच है कि आज स्मार्टफोन मार्केट में नोकिया काफी पिछड़ गया है। सैमसंग, एप्पल और माइक्रोमैक्स सरीखी कंपनियों ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। ऐसे में नोकिया के लिए पुरानी स्थिति को पाना कोई आसान काम नहीं होगा। परंतु यदि आप नोकिया ब्रांड पर नजर डालते हैं तो स्थिति काफी अलग नजर आती है। लोगों की जुबान से नोकिया का नाम हटा नहीं है। स्मार्टफोन में कंपनी भले ही पिछड़ गई हो लेकिन फीचर फोन में आज भी उसकी बराबरी करने वाला कोई नहीं है। ऐसे में नोकिया का एंडराॅयड पर आना अन्य कंपनियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
इस बारे में
दिल्ली के करोल बाग स्थित हर्षित कम्यूनिकेशन के मालिक अशोक कुमार का कहते
हैं, ‘भविष्य में नोकिया एंडराॅयड फोन कैसा करेगा और नोकिया फिर से नंबर वन
बनेगी या नहीं इस बारे में तो कहना मुश्किल है लेकिन फिलहाल तो मैं यह
जरूर कह कहूंगा कि जब नोकिया के पास एंडराॅयड फोन नहीं था तब भी लोग आकर यह
पूछते थे कि नोकिया एंडराॅयड फोन कब लाएगा और अब जब नोकिया ने एंडराॅयड
फोन लाॅन्च कर दिया है तो लोग इसके बारे में और भी जानकारी प्राप्त करने आ
रहे हैं।’
यह सिर्फ अशोक का ही कहना नहीं है बल्कि अन्य मोबाइल
विक्रेताओं का भी कुछ ऐसा ही कहना है। राजस्थान बेहरोड से मोबाइल
डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े गोविंद कहते हैं, ‘नोकिया एंडराॅयड फोन की चर्चा
तो पहले से ही थी परंतु बाजार में आने से पहले ही हमारे पास नोकिया
एंडराॅयड फोन की इतनी मांग आ गई थी कि इसे देखकर मैं कह सकता हूं कि
स्मार्टफोन बाजार में कंपनी भविष्य में और बेहतर करेगी।’
नोकिया एंडराॅयड
स्मार्टपफोन हो या फीचर फोन एक वक्त पूरे मोबाइल बाजार पर नोकिया का ही राज था। वर्ष 2001 में कंपनी ने अपने स्मार्ट आॅपरेटिंग सिस्टम सिंबियन 60 पर पहला डिवाइस कम्यूनिकेटर को लाॅन्च किया। सिंबियन 60 आॅपरेटिंग पर उस वक्त एक से एक डिवायस लाॅन्च हुए और लगभग सभी ने उपभोक्ताओं को ध्यान खींचा। इनमें नोकिया एन95, ई71 और एन70 का तो कहना ही नहीं था।
नोकिया एंडराॅयड
स्मार्टपफोन हो या फीचर फोन एक वक्त पूरे मोबाइल बाजार पर नोकिया का ही राज था। वर्ष 2001 में कंपनी ने अपने स्मार्ट आॅपरेटिंग सिस्टम सिंबियन 60 पर पहला डिवाइस कम्यूनिकेटर को लाॅन्च किया। सिंबियन 60 आॅपरेटिंग पर उस वक्त एक से एक डिवायस लाॅन्च हुए और लगभग सभी ने उपभोक्ताओं को ध्यान खींचा। इनमें नोकिया एन95, ई71 और एन70 का तो कहना ही नहीं था।
मोबाइल बाजार में सिंबियन के अलावा स्मार्टफोन के लिए ब्लैकबेरी, पाम और विंडोज मोबाइल जैसे आॅपरेटिंग उपलब्ध थे लेकिन सिंबियन की लोकप्रियता के आगे सभी फीके नजर आए। वर्ष 2008 तक साठ फीसदी से ज्यादा स्मार्टफोन बाजार पर नोकिया का ही राज था। परंतु इस वर्ष जहां एक ओर एंडराॅयड ने दस्तक दी वहीं दूसरी ओर वर्ष 2007 में ही एप्पल ने आईफोन को पेश किया था जो अब तक काफी लोकप्रिय हो चुका था। एप्पल आईपफोन को आईओएस आॅपरेटिंग पर पेश किया गया था और एंडराॅयड ओपन प्लेटफाॅर्म था जिसे स्मार्टफोन को नई दशा और दिशा देने की काबिलियत थी और हुआ भी यही। वर्ष 2010 तक सिंबियन अपनी 28 फीसदी हिस्सेदारी खो चुका था। सिंबियन की गिरती लोकप्रियता ने नोकिया को झकझोर कर रख दिया।
सिंबियन का विकास सीमित था। उसमें एंडराॅयड के समान बेहतर गेम और एप्लिकेशन विकसित नहीं किए जा सकते थे। ऐसे में नोकिया को जरूरत थी ऐसे प्लेटफाॅर्म की जिससे फिर से कंपनी अपनी लोकप्रियता को हासिल कर सके। फरवरी 2011 को नोकिया के सीईओ स्टिफन इलाॅप और माइक्रोसाॅफ्ट सीईओ स्टीव बाॅल्मर ने संयुक्त रूप से यह घोषणा की कि नोकिया स्मार्टफोन का निर्माण विंडोज फोन आॅपरेटिंग पर करेगी। इसके साथ यह भी घोषणा की गई कि नोकिया स्मार्टफोन में कंपनी सिंबियन और मिगो आॅपरेटिंग को पूरी तरह बंद कर देगी।
मिगो आॅपरेटिंग का निर्माण कंपनी ने इंटेल के साथ मिलकर किया था लेकिन इस आॅपरेटिंग पर सिर्फ एक ही फोन लाॅन्च हो पाया और 2011 के बाद इसे बंद भी कर दिया गया। हालांकि बीच-बीच में यह चर्चाएं भी आती रहीं कि नोकिया एंडराॅयड फोन बना सकता है लेकिन कंपनी ने अक्सर इसका खंडन किया। 26 अक्टूबर 2011 को विंडोज फोन 7.5 आॅपरेटिंग पर नोकिया का पहला फोन लुमिया 800 को लाॅन्च कर दिया गया। इसके माध्यम से कंपनी ने अपनी खोई साख वापस पाने की कोशिश की।
सितंबर 2012 में
विंडोज के नए अपडेट विंडोज फोन 8 के साथ लुमिया 920 को लाॅन्च किया गया और
इस आॅपरेटिंग के साथ कंपनी ने एक के बाद एक कई फोन लाॅन्च किए। कंपनी की
स्मार्टफोन बाजार में अब अपनी पकड़ मजबूत बनाने लगी थी लेकिन एंडराॅयड के
मुकाबले अब भी पीछे थी। इसी बीच खबर आई कि नोकिया एंडराॅयड फोन बना सकती है
लेकिन फिर कंपनी ने उसे खारिज कर दिया।
2 सितंबर को खबर आई कि
माइक्रोसाॅफ्रट ने नोकिया को खरीद लिया है। उससे बाद तो मानों ऐसा लगा जैसे
नोकिया में एंडराॅयड फोन के लिए दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए। क्योंकि
मोबाइल के लिए माइक्रोसाॅफ्ट का अपना आॅपरेटिंग था और जानकारों का मानना था
कि कंपनी कभी भी अपने प्रतियोगी को बढ़ावा नहीं देगी। परंतु 2013 के अंत
तक खबर आ चुकी थी कि नोकिया एंडराॅयड फोन बना रही है और इस पर कंपनी ने कोई
बयानबाजी नहीं की। अंततः 24 पफरवरी 2014 को नोकिया का एंडराॅयड फोन
उपभोक्ताओं के बीच प्रदर्शित कर दिया गया।
नोकिया और एंडराॅयड!
एंडराॅयड आॅपरेटिंग पर नोकिया ने नोकिया एक्स, एक्स+ और एक्सएल सहित तीन पफोन का प्रदर्शन किया और नोकिया एक्स अब भारत में उपलब्ध भी हो चुका है। हालांकि कंपनी ने इसे माना है कि यह एंडराॅयड आॅपरेटिंग पर आधारित है लेकिन फोन में आॅपरेटिंग का नाम एंडराॅयड के बजाय नोकिया एक्स प्लेटफाॅर्म दिया गया है। कंपनी ने एंडराॅयड यूजर इंटरफेस में काफी बदलाव किया है। यह आशा व लुमिया इंटरफेस से बहुत मिलता है। ऐसे में नोकिया एक्स में एंडराॅयड का अहसास भी नहीं होगा क्योंकि इसमें नोकिया ने गूगल प्ले स्टोर का एक्सेस ही नहीं दिया है। कंपनी ने नोकिया स्टोर के अलावा थर्ड पार्टी एप्स स्टोर पेश किया है जहां से आप नोकिया एक्स फोन के लिए एप्लिकेशन डाउनलोड कर सकते हैं।
क्यों पड़ी जरूरत
कुछ साल पहले ही नोकिया ने सिंबियन छोड़ने की घोषणा कर दी थी और इस साल से सिंबियन आॅपरेटिंग के सभी सपोर्ट को पूरी तरह बंद भी कर दिया गया है। कम रेंज वाले फोन आशा साॅफ्टवेयर प्लेटफाॅर्म का विकास इंटरनेट और वाई-फाई के लिए तो सही है लेकिन एप्लिकेशन के मामले में एंडराॅयड से काफी पीछे है। इस आॅपरेटिंग में स्क्रीन रेजल्यूशन सपोर्ट भी सीमित है। आशा साॅफ्टवेयर प्लेटफाॅर्म बहुत हद तक सिंबियन के समान है। परंतु एंडराॅयड की बात करें तो कम रेंज के डिवाइस के लिए भी बेहतर ग्राफिक्स वाली एप्लिकेशन और गेम उपलब्ध है। ऐसे में नए आॅपरेटिंग के विकास से बेहतर नोकिया ने एंडराॅयड को ही बेहतर समझा। इसके माध्यम से कंपनी ने आशा फोन की कमियों को दूर करने की कोशिश की है।
नोकिया और एंडराॅयड!
एंडराॅयड आॅपरेटिंग पर नोकिया ने नोकिया एक्स, एक्स+ और एक्सएल सहित तीन पफोन का प्रदर्शन किया और नोकिया एक्स अब भारत में उपलब्ध भी हो चुका है। हालांकि कंपनी ने इसे माना है कि यह एंडराॅयड आॅपरेटिंग पर आधारित है लेकिन फोन में आॅपरेटिंग का नाम एंडराॅयड के बजाय नोकिया एक्स प्लेटफाॅर्म दिया गया है। कंपनी ने एंडराॅयड यूजर इंटरफेस में काफी बदलाव किया है। यह आशा व लुमिया इंटरफेस से बहुत मिलता है। ऐसे में नोकिया एक्स में एंडराॅयड का अहसास भी नहीं होगा क्योंकि इसमें नोकिया ने गूगल प्ले स्टोर का एक्सेस ही नहीं दिया है। कंपनी ने नोकिया स्टोर के अलावा थर्ड पार्टी एप्स स्टोर पेश किया है जहां से आप नोकिया एक्स फोन के लिए एप्लिकेशन डाउनलोड कर सकते हैं।
क्यों पड़ी जरूरत
कुछ साल पहले ही नोकिया ने सिंबियन छोड़ने की घोषणा कर दी थी और इस साल से सिंबियन आॅपरेटिंग के सभी सपोर्ट को पूरी तरह बंद भी कर दिया गया है। कम रेंज वाले फोन आशा साॅफ्टवेयर प्लेटफाॅर्म का विकास इंटरनेट और वाई-फाई के लिए तो सही है लेकिन एप्लिकेशन के मामले में एंडराॅयड से काफी पीछे है। इस आॅपरेटिंग में स्क्रीन रेजल्यूशन सपोर्ट भी सीमित है। आशा साॅफ्टवेयर प्लेटफाॅर्म बहुत हद तक सिंबियन के समान है। परंतु एंडराॅयड की बात करें तो कम रेंज के डिवाइस के लिए भी बेहतर ग्राफिक्स वाली एप्लिकेशन और गेम उपलब्ध है। ऐसे में नए आॅपरेटिंग के विकास से बेहतर नोकिया ने एंडराॅयड को ही बेहतर समझा। इसके माध्यम से कंपनी ने आशा फोन की कमियों को दूर करने की कोशिश की है।
एंडराॅयड आॅपरेटिंग न सिर्फ मुफ्त है बल्कि ओपेन सोर्स होने की वजह से इस आॅपरेटिंग में जरूरत के अनुसार बदलाव भी किया जा सकता है और नोकिया ने भी ऐसा ही कुछ किया। कंपनी ने एंडराॅयड आॅपरेटिंग में बदलाव किया और इसे नोकिया एक्स प्लेटफाॅर्म का नाम दिया। फिलहाल कंपनी की रणनीति नोकिया एंडराॅयड फोन को कम रेंज तक सीमित रखना है। आशा फोन अब भी उपलब्ध होंगे लेकिन मध्य स्तर में नोकिया एक्स फोन का विकास होगा।
कहीं देर तो नहीं कर दी
नोकिया के एंडरायड बाजार में आने से जहां उपभोक्ता में उत्साह है वहीं जानकारों का मनाना है कि कंपनी ने काफी देर कर दी। यदि साल दो साल पहले आ गई होती तो शायद आज स्थिति कुछ और होती। हालांकि इस बारे में पी बालाजी एमडी नोकिया इंडिया अलग राय रखते हैं। वे कहते हैं, ‘कम रेंज के स्मार्टफोन का बाजार प्रति वर्ष लगभग 20 फीसदी की दर से विकास कर रहा है और मुझे लगता है कि यह सबसे सही समय है बाजार में एक बेहतर एंडराॅयड फोन के साथ दस्तक देने का। वे लोग जो एंडराॅयड एप्लिकेशन का उपयोग करना पसंद करते हैं उनके लिए हमारे पास बिल्कुल अलग प्रोडक्ट है। शानदार डिजाइन और नोकिया का अनुभव के साथ आप नोकिया एक्स फोन में माइक्रोसाॅफ्ट सर्विस का भी लाभ ले सकते हैं। आज आप देखेंगे तो बाजार में सभी एंडराॅयड फोन एक जैसे दिखाई देते हैं जबकि हमारा प्रोडक्ट उनसे कहीं अलग खड़ा है।’
तो क्या फिर आएगा नोकिया राज
इसमें कोई शक नहीं कि नोकिया का एंडराॅयड फोन लाॅन्च होने से पहले और लाॅन्च होने के बाद चर्चा में है लेकिन फिर से स्मार्टफोन बाजार में कंपनी नंबर एक का ताज हासिल कर पाएगी या नहीं यह कहना थोड़ा मुश्किल है। क्योंकि एक तो कंपनी स्मार्टफोन बाजार में काफी पिछड़ गई है दूसरी ओर सैमसंग के अलावा भारतीय निर्माता भी अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं।
विश्वास से लबरेज कार्बन मोबाइल के डायरेक्टर सुधीर हसीजा कहते हैं, ‘नोकिया के एंडराॅयड फोन में आने से अब भारतीय बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा और हम अपनी स्थिति को लेकर आश्वस्त हैं कि कोई फर्क नहीं पड़ेगा।’
वहीं माइक्रोमैक्स के डायरेक्टर विकास जैन कहते हैं, ‘भारत बहुत बड़ा है। जितनी कंपनियां आएंगी उतना बेहतर है और नोकिया जैसी कंपनी के एंडराॅयड बाजार में आने से एंडराॅयड फोन बाजार में प्रतियोगिता बढ़ेगी जो उपभोक्ता के लिए अच्छा है।’
जहां तक एंडराॅयड फोन के लाॅन्च को लेकर नोकिया कि बात है तो फिलहाल कंपनी इसे बड़े पैमाने पर लाॅन्च नहीं करना चाहती। बाला जी कहते हैं, ‘हम स्मार्टफोन रणनीति की बात करें तो लुमिया हमारी प्राथमिकता है। लुमिया फोन उपभोक्ताओं को बेहतर माइक्रोसाॅफ्ट सर्विस प्रदान करने में सक्षम है। इसमें लाइव टाइल्स और एक्स बाॅक्स जैसी बेहतर सेवाओं का लाभ लिया जा सकता है। नोकिया एक्स को विशेष रूप से कम रेंज के एंडराॅयड फोन से प्रतिस्पर्ध के लिए लाॅन्च किया गया है। इस बजट में स्मार्टफोन बाजार बहुत तेजी से विकास कर रहा है। एक्स सीरीज को लुमिया के लिए फीडर का कार्य करेंगे और उपभोक्ता को लुमिया फोन के उपयोग के लिए प्रेरित करेगी।’
नोकिया द्वारा इस बात की पुष्टि कर दी गई है कि कंपनी के लिए लुमिया फोन ज्यादा महत्वपूर्ण हैं बजाय एंडराॅयड के, लेकिन नोकिया के एंडराॅयड फोन ने बाजार में हलचल तो जरूर मचा दी है। अब देखना यह है कि इस हलचल का फायदा नोकिया को कितना होता है।
भाई नोकिया के मालिक के बारे में लिखा है बार आप नोकिया कंपनी के बारे में जरूर रीड कर के देखना
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