मोबाइल जगत रामगढ़ है और यह साल शोले तो जरा सोचिए कि इस वर्ष लांच
होने वाले कौन से फोन किसकी भूमिका में होंगे। कोई गब्बर बनकर किसी की
खुशियों में आग लगा रहा होगा तो कोई ठाकुर की तरह ही भौंह चढ़ाकर बदला लेने
की बात कर रहा होगा। हो-हल्ला और गर्माहट से भरे इस साल के अंत में माय
मोबाइल बैनर तले पेश है शोले 2013
‘अब तेरा क्या होगा कालिया’ पर्दे पर जब यह डायलाग अमजद खान ने अपने डरावने
अंदाज में बोला तो पूरा सिनेमा हाल सिहर उठा। धर्मेन्दर ने जब कहा कि
‘बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना’ तो पूरा हाल एक बार जोश से भर उठा।
एके हंगल का डायलाग ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई’ से हर ओर मायूसी छा गई।
कुछ ऐसा ही जलवा है फ़िल्म शोले का। आज भी भारतीय फ़िल्म इतिहास की सबसे हिट
फ़िल्म में शोले गिनी जाती है। हर किरदार एक अलग छाप छोड़ता है, हर डायलाग
यादगार है और हरेक सीन आज भी नजर के सामने घूमता है। अमिताभ से लेकर
असरानी तक हर किसी ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
आप यही सोच रहे होंगे कि मोबाइल स्तम्भ जनाब शोले की बातें क्यों बघार रहे हैं। तो आपको बता दूं कि मोबाइल जगत का यह साल फ़िल्म शोले से कम हिट नहीं रहा। हरेक फोन लान्च के साथ एक नया क्लाइमेक्स था। बाजार में हलचल थी। कब कौन क्या कर दे किसी को पता नहीं होता था। शोले के नजरिए से देखें तो इस साल लांच होने वाले फोंस में कोई ठाकुर साबित हो रहा था तो कोई गब्बर। किसी ने वीरू की भूमिका अदा की तो किसी ने बसंती की। जय, अंग्रेजों के जमाने के जेलर और सांबा भी इस बीच आए।
पूरा साल मोबाइल तकनीक की चर्चा से गूंजता रहा। हर किसी की कोशिश थी कि रामगढ़ जैसे मोबाइल बाजार में जहां शोले भरे हैं वहां जय और वीरू को ही उतारा जाए लेकिन इस कोशिश में कई कामयाब हुए तो कई की कोशिश सूरमा भोपाली तक ही आकर सिमट गई। वहीं कई फोन तो यह कहते नजर आए कि यह सुसाइट किसे कहते हैं भाई। हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि इस दरम्यान उन्होंने अपनी उपलब्धि दर्ज जरूर करा दी।
इस वर्ष मोबाइल जगत की यह शोले
दास्तां हमने भी उसी अंदाज में पेश की है। इसके माध्यम से हमने यही कोशिश
की है कि वर्ष 2013 में लान्च हुए फोन से आपको रू-ब-रू करा सकें जो पूरे
वर्ष चर्चा में बने रहे। हां, यह बात सही है कि अंदाज तो अलग है। फोन की
श्रेणी साधरण म्यूजिक, कैमरा और डिसप्ले न होकर फ़िल्म शोले से संबंध्ति
पात्रों के आधर पर रखी गई है। जैसे- ठाकुर, वीरू, जय, गब्बर और बसंती।
ठाकुर बलदेव सिंह
फ़िल्म शोले में संजीव कुमार का किरदार बेहद ही अहम था। ठाकुर बलदेव सिंह
रामगढ़ के जमींदार थे। यहां भी कुछ ऐसा ही है। ठाकुर के किरदार की खासियत
यह थी कि फ़िल्म में उसके हाथ नहीं थे। इसलिए इस किरदार के लिए हमने बहुत
बारीकी से तीन नामों का चुनाव किया जिन्हें आप बगैर हाथ लगाए उपयोग कर सकते
हैं।
इसमें सबसे पहला नाम आता है माइक्रोमैक्स कैनवस4 का। इस श्रृंखला में
इसे इसलिए रखा गया कि कैनवस 4 वही फोन है जो फूंक मार कर आन करने के लिए
जाना जाता है लेकिन कोई जादू-टोने की तो फ़िल्म है नहीं जो फूंक मारे और
दुश्मन को गिरा दे। बल्कि उसमें ताकत भी होनी चाहिए जो समय पर मुकाबला कर
सके। वहीं दूसरा फोन लावा आइरिश श्रृंखला से है।
इस फोन में एयरजेस्चर का
अच्छा प्रयोग देखा गया था। परंतु इन फोन को पीछे छोड़ बाजी मार गया सैमसंग
गैलेक्सी एस4। एयर जेस्चर का इससे बेहतर फोन हमने आज तक नहीं देखा। फोन के
कई फीचर का उपयोग करने के लिए आपको हाथ लगाने की जरूरत नहीं है बल्कि इधर
से उधर सिर हिलाकर ही कर सकते हैं।
वैसे भी जहां तक जमींदारी की बात है तो
आज मोबाइज जगत का जमींदार सैमसंग ही कहा जा सकता है। 40 फीसदी से ज्यादा
बाजार पर सैमसंग का कब्जा है। तो भइया, हुए न ठाकुर साहब। इसलिए आज के बाद जब आपको एस4 दिखाई दे उन्हें ठाकुर साहब के नजरिए से ही देखें।
गब्बर
फ़िल्म
शोले में यह वह शख्स था जिसे लोग जानते थे आएगा तो कुछ न कुछ जरूर होगा।
आपको याद होगा होली का खेल भी इसी ने खराब किया था। बड़े मजे से रामगढ़ में
लोग होली खेल रहे थे लेकिन गब्बर (अमजद खान) आया तो क्या हुआ। तबाही।
गब्बर की श्रेणी के लिए तीन नाम जो सामने आए उनमें सबसे पहला नाम था सैमसंग
गैलेक्सी नोट3 का। यह फोन हीरो से लेकर विलेन तक के लिए नामित हुआ लेकिन
इसने खेल खराब नहीं किया।
यह तो उन्हीं लोगों के लिए है जो नोट का उपयोग
करना चाहते हैं। दूसरा नाम था ब्लैकबेरी जेड10। नए अवतार में आने के बाद
बहुत आशा थी कि शायद अन्य स्मार्टफोन का बाजार प्रभावित करे लेकिन बहुत
खास नहीं रहा।
अंततः बात आई आईफोन 5एस पर। यही वह फोन है जो जब भी आता है
अन्य स्मार्टफोन की बखिया उधेड़ देता है। जिस तरह गब्बर प्लानिंग से आता
था, आईफोन भी लांच होने से पहले कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ता। हर फोन की
तुलना एस5 से ही होने लगती है।
उंची रेंज की जब भी बात आती है सबसे पहला नाम इसी का आता है। स्मार्टफोन का खेल खराब करने का जिम्मा इसी को जाता है। एक बार आईफोन लांच हो गया तो फिर र चर्चा बस इसी की। बाकी सब फीके।
उंची रेंज की जब भी बात आती है सबसे पहला नाम इसी का आता है। स्मार्टफोन का खेल खराब करने का जिम्मा इसी को जाता है। एक बार आईफोन लांच हो गया तो फिर र चर्चा बस इसी की। बाकी सब फीके।
यहां बड़ी ही मशक्कत करनी पड़ी। क्योंकि एंग्री यंग मैन का जो चुनाव था।
बात यह थी कि फोन ऐसा हो जो अमिताभ बच्चन की तरह स्मार्ट हो। एक बार में
अपनी छाप छोड़ने में सफल हो और साथ ही ताकतवर भी हो जो दुश्मन के छक्के
छुड़ा सके।
इसके लिए सैमसंग गैलेक्सी नोट3, एचटीसी वन और ब्लैकबेरी जेड30
को नामित किया गया। सैमसंग गैलेक्सी नोट3 एयरकमांड में पारंगत है। इस जैसा
कोई है ही नहीं।
परंतु यदि रजनीकांत फोन चुनना होता तो यह जरूर जीत जाता लेकिन चुनाव था शोले के जय का। ब्लैकबेरी जेड30 पर गौर किया गया जो देखने में सुंदर है और फीचर भी अच्छे हैं लेकिन स्मार्टएप्स में पीछे रह जाता है। ऐसे में इस श्रृंखला का विजेता एचटीसी वन को चुना गया।
परंतु यदि रजनीकांत फोन चुनना होता तो यह जरूर जीत जाता लेकिन चुनाव था शोले के जय का। ब्लैकबेरी जेड30 पर गौर किया गया जो देखने में सुंदर है और फीचर भी अच्छे हैं लेकिन स्मार्टएप्स में पीछे रह जाता है। ऐसे में इस श्रृंखला का विजेता एचटीसी वन को चुना गया।
लुक ऐसा कि पहली ही
नजर में घायल कर दे। पर्सनेलिटी ऐसी कि जो देखे बस देखता रह जाए। इसमें
ब्लिंग फीड, अल्ट्रा पिक्सल कैमरा, मैटल बाडी, जोई और बिट्स आडियो है जो हर
मामले में दूसरे फोन के मुकाबले बीस साबित हुआ।
फीचर ऐसे दमदार कि दस बीस
पर अकेले ही भारी पड़े। खूबियों ने एचटीसी वन को जय की श्रृंखला में विजेता
बनाया। हां, यह बात अलग है कि यहां जय और वीरू दोस्त नहीं बल्कि प्रतियोगी
हैं। परंतु एक बात जरूर है दोनों की रगों में खून एंडरायड का ही दौड़ता
है।
वीरू
बलशाली वीरू की ताकत से हर कोई परिचित है। आज भी धर्मेन्दर भारतीय फ़िल्म जगत के हीमैन कहे जाते हैं। गब्बर के जैसे डाकू हों या खुद गब्बर, वीरू के नाम से ही खौफ था। इस श्रेणी में हमने उन फोन को नामित किया जो सबसे ताकतवर हों।
बलशाली वीरू की ताकत से हर कोई परिचित है। आज भी धर्मेन्दर भारतीय फ़िल्म जगत के हीमैन कहे जाते हैं। गब्बर के जैसे डाकू हों या खुद गब्बर, वीरू के नाम से ही खौफ था। इस श्रेणी में हमने उन फोन को नामित किया जो सबसे ताकतवर हों।
इस श्रृंखला में हमने सोनी एक्सपीरिया जेड1, सैमसंग
गैलेक्सी एस4 और एलजी जी2 का चुनाव किया। तीनों ब्रांड के सबसे श्रेष्ठ
योद्धा में से एक हैं। सोनी एक्सपीरिया जेड1 में जहां 2.2 गीगाहट्र्ज का
प्रोसेसर है।
वहीं सैमसंग गैलेक्सी एस4 को आक्टाकोर प्रोसेसर के साथ पेश किया गया है। अपने आठ कोर के दम पर यह किसी को भी मसलने का दम रखता है।
वहीं सैमसंग गैलेक्सी एस4 को आक्टाकोर प्रोसेसर के साथ पेश किया गया है। अपने आठ कोर के दम पर यह किसी को भी मसलने का दम रखता है।
सैमसंग इसे सबसे तेज होने का दावा करती है लेकिन वर्ष 2013 का वीरू साबित
हुआ एलजी जी2। हाल में कंपनी ने इसे भारतीय बाजार में पेश किया है। फोन में
2.3 गीगाहट्र्ज का क्वालकाम स्नैपड्रैगन 800, क्वाडकोर प्रोसेसर है जो
ताकत के मामले में किसी भी फोन को पटखनी देने में सक्षम है।
वीरू के बल के आगे सब फीके साबित हुए। हालांकि ऐसा नहीं है कि बलशाली वीरू देखने में स्मार्ट नहीं है, बल्कि वीरू की तरह एलजी जी2 भी स्मार्टफोन है।
वीरू के बल के आगे सब फीके साबित हुए। हालांकि ऐसा नहीं है कि बलशाली वीरू देखने में स्मार्ट नहीं है, बल्कि वीरू की तरह एलजी जी2 भी स्मार्टफोन है।
बसंती को देखकर गब्बर ने कहा था कि अरे सांबा ये रामगढ़ वाले किस
चक्की का आटा खाते हैं। खूबसूरत बसंती की कोई बराबरी नहीं थी। वही बसंती
अपनी हिम्मत और जज्बे के लिए भी जानी जाती थी।
हेमा मालिनी ने इस किरदार को
निभाया था। इस श्रेणी में भी ऐसे ही फोन का चुनाव करना था जो न सिर्फ
खूबसूरत हो बल्कि तेज तर्रार और स्मार्ट भी हो। जरूरत पड़े तो धन्नो को
तेजी से भगा सके।
इसके लिए जो फोन नामित हुए वे थे नोकिया लुमिया 920, एप्पल आईफोन 5सी और नोकिया 501। अब इन सभी फोन खासियत यह है कि यह कई आकर्षक रंगों में उपलब्ध् हैं जिनमें गुलाबी या लाल रंग भी शामिल है।
इसके लिए जो फोन नामित हुए वे थे नोकिया लुमिया 920, एप्पल आईफोन 5सी और नोकिया 501। अब इन सभी फोन खासियत यह है कि यह कई आकर्षक रंगों में उपलब्ध् हैं जिनमें गुलाबी या लाल रंग भी शामिल है।
हालांकि 5सी बहुत ही स्मार्ट फोन है लेकिन इससे कहीं ज्यादा चर्चा आईफोन 5
एस की रही।
वहीं 501 देखने में स्मार्ट तो है लेकिन इसे बहुत तेज तर्रार नहीं गिना जा सकता। हां, लुमिया 920 को विंडोज 8 का फ्लैगशिप फोन कहा जा सकता है। फोन ताकतवर है और कैमरे का तो कहना ही नहीं।
वहीं 501 देखने में स्मार्ट तो है लेकिन इसे बहुत तेज तर्रार नहीं गिना जा सकता। हां, लुमिया 920 को विंडोज 8 का फ्लैगशिप फोन कहा जा सकता है। फोन ताकतवर है और कैमरे का तो कहना ही नहीं।
बस जिसे एक बार आंखों
में बसाया उसकी सटीक तस्वीर उतार ली। रही बात स्मार्टनेस की तो फोन देखने
में बहुत सुंदर है। परफोमेन्स के मामले में भी काफी तेज है और गब्बर को कई
जगहों पर चकमा देने में सक्षम भी।
राधा
जया बच्चन का राधा का यह किरदार राधा नाम से कम और छोटी बहू नाम से ज्यादा
जाना जाता है।
पूरी फिल्म में राधा बेहद ही शांत रही लेकिन इस शांति के
बावजूद अपने किरदार के साथ बखूबी इंसाफ किया और फिल्म शोले में अपनी भूमिका
को सही साबित किया। राधा श्रेणी में हमने ऐसे फोन को नामित करने की
कोशिश की जो शांतिपूर्ण ढंग से अपनी उपलब्धता दर्ज कराए और साथ ही
सुंदर भी हो।
तो यहां नाम आता है ब्लैकबेरी क्यू5 का, ब्लैबेरी 9720 का और
नोकिया 501 का। ब्लैकबेरी क्यू5 अपनी दोहरी भूमिका को दिखाता है टच और
क्वर्टी। राधा की भी भूमिका ऐसी थी। शादी से पहले के दृश्य में उसे बहुत ही
चंचल और खुशमिजाज दिखाया गया है।
परंतु यह फोन राधा श्रेणी का इनाम जीतने
में सफल नहीं रहा। फोन लोकप्रिय हुआ लेकिन उतना नहीं जितना कि राधा का
किरदार। वहीं ब्लैकबेरी 9720 विजेता नहीं बन सका यह फोन, पुराना ऑपरेटिंग,
पुराना लुक। जबकि उस वक्त राधा नए जमाने की लड़की थी भले ही वह शांत हो गई
थी।
हां, नोकिया आशा 501 में वह खूबियां जरूर थीं। विंडोज और एंडरॉयड की
हलचल में इस छोटे से फोन ने अपनी छाप जरूर छोड़ी। उफपरी रेंज के हो-हल्ला
से बेखबर कम रेंज में यह शांति पूर्ण ढंग से बिकता रहा। कई माह तक तो यह
नोकिया की बेस्ट सेलिंग फोन में से एक था।
शोले में यह किरदार जगदीप ने किया था और जब वे आए उसी समय लग गया था
कि थोड़े बातूनी हैं। जब जय और वीरू अंदर थे तो उस वक्त इनका शेखी बघारना
और भी बढ़ गया था।
छोटा किरदार था लेकिन कमाल की एंट्री थी। जब तक रहे छाए रहे।
छोटा किरदार था लेकिन कमाल की एंट्री थी। जब तक रहे छाए रहे।
हां, थोड़े बक्कड़ जरूर थे। इस श्रेणी के लिए हमें बहुत मशक्कत करनी पड़ी। अंततः नामित किया गया माइक्रोमैक्स कैनवस एस4 और कार्बन टाइटेनियम एस5।
कार्बन टाइटेनियम को बड़े ही ताम-झाम से लॉन्च किया गया और कंपनी ने
भी इसे लेकर पचास दावे किए। परंतु कार्बन के दावों पर भारी पड़ा
माइक्रोमैक्स। कैनवस4 के लॉन्च से पहले ऐसा लगा जैसे आते ही यह फोन सैमसंग
नोट और एस4 को बाहर कर देगा।
यही वजह रही कि सूरमा भोपाली का यह खिताब
माइक्रोमैक्स कैनवस4 को गया। फोन लॉन्च से पहले और लॉन्च के वक्त कंपनी ने
खूब धूम मचाई। धूम तो ऐसी थी कि कैनवस4 के लॉन्च में बैठने तक की जगह नहीं
बची और इस बीच थोड़ी झड़प भी देखने को मिली। परंतु जब फोन आया तो एक फूंक
मारने के अलावा कुछ भी खास नहीं था।
अंग्रेजों
के जमाने के जेलर
वैसे तो असरानी को हर कोई जानता है लेकिन ज्यादातर लोग उन्हें अंग्रेजों
के जमाने के जेलर के नाम से ही जानते हैं। आज भी उनकी यही पहचान सबसे
ज्यादा लोकप्रिय है।
हालांकि रोल छोटा था लेकिन कमाल का था। मोबाइल जगत के
अंग्रेजों के जमाने के जेलर चुनने की बारी आई तो उसमें सबसे ज्यादा नाम
सैमसंग से आया।
जिसमें सैमसंग ग्रांड और कॉन्ट्रो भी था।
उसका कारण था कि पिछले कुछ सालों में सैमसंग द्वारा लॉन्च किए गए टच फोन पर जब नजर डालते हैं तो सब एक जैसे दिखाई देते हैं। ऐसे में लगा कि शायद इन्हीं में से कोई यह खिताब जीतेगा।
परंतु एक नाम अलग था और वह था ब्लैकबेरी ब्रांड से, ब्लैकबेरी 9720। अब हम सबकी नजर यहीं आकर रुक गई और यही जनाब विजेता बने। उसका कारण था।
उसका कारण था कि पिछले कुछ सालों में सैमसंग द्वारा लॉन्च किए गए टच फोन पर जब नजर डालते हैं तो सब एक जैसे दिखाई देते हैं। ऐसे में लगा कि शायद इन्हीं में से कोई यह खिताब जीतेगा।
परंतु एक नाम अलग था और वह था ब्लैकबेरी ब्रांड से, ब्लैकबेरी 9720। अब हम सबकी नजर यहीं आकर रुक गई और यही जनाब विजेता बने। उसका कारण था।
ब्लैकबेरी ओएस। नोकिया ने सिंबियन छोड़ विंडोज का हाथ थाम
लिया। सैमसंग एंडरॉयड के सहारे आगे बढ़ रहे हैं लेकिन ये जनाब अब भी
ब्लैकबेरी 7 और क्वर्टी कीपैड पर अड़े हुए है। इसलिए इन्हें अंग्रेजों के
जमाने का जेलर जरूर कहा जा सकता है। ‘हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं।
हम जानते हैं कि हमारी बातों को पसंद नहीं किया जाता इसलिए हमारी बदली कर
दी जाती है लेकिन इतनी बदलियों के बाद भी हम नहीं बदले।’
अहमद का किरदार सचिन ने निभाया था। हालांकि बहुत असर
छोड़ने में सफल नहीं हुए लेकिन शोले कास्ट का जिक्र होता है तो इनका नाम
आना भी लाजमी है।
सीधे -सीधे अहमद अब्बा के दुलारे थे लेकिन गब्बर के साथी
उन्हें मार देते हैं। छोटी कद काठी के सचिन आए तो हीरो बनने लेकिन जय और
वीरू के रुतबे के आगे कुछ खास छाप नहीं छोड़ पाए।
अहमद के इस खिताब की जब
बारी आई तो एक मत से एलजी वीयू का जिक्र हुआ। बड़े ही ताम झाम से इन्हें
लॉन्च किया गया लेकिन बाजार में आए तो क्या हश्र हुआ किसी से छिपा नहीं है।
कुछ ही माह में फोन आधे दामों पर बिका। किसी के सामने टिक नहीं पाया।
फैबलेट और फोन के बीच ही अटक कर रह गया। न गब्बर को टक्कर दे पाया और न ही
जय और बीरू के आगे खड़े हो पाए।
हालांकि ऐसा नहीं है कि वीयू फोन में कोई
कमी थी लेकिन आकार की वजह से जनाब अपनी उपयोगिता गवां बैठे। यही वजह है कि
इन्हें अहमद के खिताब से नवाजा गया।
रहीम चाचा का किरदार फिल्म शोले में बेशक ही छोटा हो लेकिन उपयोगिता
कम नहीं है। अपने उसी पुराने अंदाज में रहीम चाचा बात करते नजर आए जैसा कि
अन्य फिल्मो में उन्हें देखा गया है।
यहां पर बड़ी मुश्किल थी कि भाई यह
रहीम चाचा कौन सा फोन हो सकता है। फिर जब हमने सब फोन को नामित करना शुरू
किया तो एक के बाद एक कई नाम आए। यहां ऐसे फोन का चुनाव करना था तो थोड़ा
पुराना अहसास कराता हो।
इनमें नोकिया आशा 210 डुअल सिम, ब्लैकबेरी 9720 फोन
थे। हालांकि एंडरॉयड ऑपरेटिंग की वजह से सैमसंग पहले ही श्रृंखला से बाहर
हो चुका था लेकिन नोकिया आशा 210 डुअल सिम और ब्लैकबेरी 9720 में कड़ी
टक्कर थी। अंततः इस श्रेणी का विजेता नोकिया 210 बना।
इसका कारण था इस वर्ष
कम बजट में कोई भी क्वर्टी फोन लॉन्च नहीं हुआ। क्वर्टी का इकलौता फोन यही
था। जो भी फोन लॉन्च हुए उनमें ज्यादातर टच स्क्रीन के थे और बचे
अल्पफान्यूमेरिक कीपैड के साथ।
परंतु फोन है शानदार। कम रेंज का इकलौता
क्वर्टी होने की वजह से यह जरूर कह रहा होगा ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई’।
फिल्म शोले की मौसी के किरदार का वास्तविक नाम बहुत कम
ही लोग जानते होंगे लेकिन मौसी जी के नाम से लोग उन्हें झट से पहचान लेते
हैं।
लीला मिश्रा द्वारा निभाया गया यह किरदार थोड़े समय में ही अपना असर
छोड़ने में सफल था। मौसी का किरदार अनुभवी था जो अपने अनुभव के आधार पर
बसंती की शादी वीरू से होने से रोक रही थी। यहां भी हमने अनुभव को ही
तवज्जो दी है।
इसलिए हमने इस सेग्मेंट में थोड़ा सा बदलाव किया और उन फोन
को लिया जो लॉन्च तो पहले हुए थे लेकिन वर्ष 2013 तक भी अपना असर छोड़ रहे
थे। इसमें नोकिया 510, एप्पल आईपैड 2 और एप्पल आईफोन 4 का नाम सबसे पहले
आया।
विंडोज ऑपरेटिंग के साथ लॉन्च हुआ कम रेंज का नोकिया लुमिया 510 इस
वर्ष भी शानदार उपलब्धि दर्ज करा रहा था। यह उतना पुराना नहीं था जितना कि
एप्पल आईपैड2।
आईपैड 2 काफी पहले लॉन्च हुआ था लेकिन इस वर्ष भी यह शांति से बिक रहा था।
आईपैड 2 काफी पहले लॉन्च हुआ था लेकिन इस वर्ष भी यह शांति से बिक रहा था।
यही वजह है कि बड़ी स्क्रीन का यह डिवायस अपनी खूबियों और
अनुभव के आधार पर इस साल का मौसी जी का खिताब जीतने में सफल रहा।
रामलाल
ये किरदार बड़ा ही शांत स्वभाव का था। इसे निभाया था
सत्येंद्र कपूर ने। इनकी खासियत थी कि यह ठाकुर के बहुत विश्वासी थे। हर
वक्त ठाकुर के साथ होते थे।
यहां तक की गब्बर को मारने के वक्त ठाकुर को
कील वाले जूते भी इन्होंने ही दिए थे।
परंतु जब वर्ष 2013 में मोबाइल जगत
से राम लाल की श्रेणी के लिए विजेता का नाम चुनने को आया तो पसीने छूट गए। कोई नाम ही सूझ नहीं रहा था।
हां, इस श्रृंखला में खासतौर से एक मत था कि
इसमें मोबाइल से हटकर किसी एक्सेसरीज को रखा जाए और अंततः नाम आया गैलेक्सी
गीयर का।
हाल में सैमसंग ने गैलेक्सी वाच लॉन्च की है जिसका नाम गैलेक्सी
गीयर है। वैसे भी इस स्टोरी का ठाकुर (सैमसंग गैलेक्सी एस4) का साथ गीयर ही
निभा सकता है।
ठाकुर के हाथ हों न हों यह आपके हाथों पर जरूर बँधेगी।
इसलिए राम लाल का यह खिताब गैलेक्सी गीयर को ही जाता है।
गब्बर का असली साथी यही था। होली हो या गोली हर वक्त
गब्बर सांभा से ही पूछता था। बड़ा ही वफादार था। हालांकि पूरी फिल्म में
सांभा ने कौन सा डायलॉग बोला किसी को नहीं मालूम लेकिन रहा पूरे तैश में।
हां, इतना भी जरूर कहा जा सकता है कि गब्बर के बाद दल में दूसरा स्थान उसी का था। सांभा का किरदार मैक मोहन ने निभाया था जो अक्सर इस तरह के किरदार निभाते थे।
यहां पर बड़ा ही मुश्किल था कि आखिर सांभा का यह खिताब किसे दिया जाए। इसके लिए लेनेवो 920 और आईफोन 4 का नाम आया। लेनेवो ने ही दस्तक देने के साथ बहुतों का खेल खराब किया है लेकिन आईफोन 4 बाजी मार गया।
हालांकि यह फोन पुराना है लेकिन सांभा भी नौजवान तो थे नहीं। हां इस पूरे साल में बाईबैक और स्टूडेंट ऑफर को लेकर आईफोन चर्चा में जरूर रहा। वहीं जो लोग आईफोन 5 नहीं ले पाते थे वह आईफोन4 के साथ ही संतोष कर लेते थे। गब्बर नहीं लगा तो सांभा को ही दबोच लिया। इसलिए सांभा का यह खिताब आईफोन 4 को ही गया।
हां, इतना भी जरूर कहा जा सकता है कि गब्बर के बाद दल में दूसरा स्थान उसी का था। सांभा का किरदार मैक मोहन ने निभाया था जो अक्सर इस तरह के किरदार निभाते थे।
यहां पर बड़ा ही मुश्किल था कि आखिर सांभा का यह खिताब किसे दिया जाए। इसके लिए लेनेवो 920 और आईफोन 4 का नाम आया। लेनेवो ने ही दस्तक देने के साथ बहुतों का खेल खराब किया है लेकिन आईफोन 4 बाजी मार गया।
हालांकि यह फोन पुराना है लेकिन सांभा भी नौजवान तो थे नहीं। हां इस पूरे साल में बाईबैक और स्टूडेंट ऑफर को लेकर आईफोन चर्चा में जरूर रहा। वहीं जो लोग आईफोन 5 नहीं ले पाते थे वह आईफोन4 के साथ ही संतोष कर लेते थे। गब्बर नहीं लगा तो सांभा को ही दबोच लिया। इसलिए सांभा का यह खिताब आईफोन 4 को ही गया।
फिल्म शोले में कालिया का रोल वीजू खोटे ने निभाया था।
मोटे ताजे कालिया का रोल बहुत छोटा था लेकिन था ऐसा कि आज तक लोगों की
जुबान पर यह आता है।
कालिया के कैरेक्टर की खासियत थी कि डाकू होते हुए वह पहले जय और वीरू से पिटता है और फिर गब्बर के हाथों मारा गया।
हालांकि शुरुआत में आम जतना को डराने में वह सफल जरूर रहा। कालिया के इस खिताब के लिए सैमसंग गैलेक्सी एस4 जूम, आईबॉल प्रोजेक्टर फोन और माइक्रोमैक्स डूडल था।
आईबॉल प्रोजेक्टर फोन और सैमसंग गैलेक्सी एस4 जूम में कड़ी टक्कर थी लेकिन गैलेक्सी एस4 जूम यह खिताब जीतने में कामयाब रहा। क्योंकि आईबॉल एंडी बहुत ज्यादा प्रभाव छोड़ने में सफल नहीं रहा।
जबकि इतना था कि लॉन्च होने से पहले और लॉन्च होने के बाद सैमसंग गैलेक्सी एस4 जूम चर्चा में जरूर रहा। परंतु कालिया का खिताब पाने का इसका मुख्य कारण यह रहा कि वह आया तो बड़े ही धौंस से था लेकिन न तो इससे फोन डर पाए और न ही यह कैमरे को डरा सका। इसलिए कालिया के खिताब से इसी को नवाजा जा सकता है।
कालिया के कैरेक्टर की खासियत थी कि डाकू होते हुए वह पहले जय और वीरू से पिटता है और फिर गब्बर के हाथों मारा गया।
हालांकि शुरुआत में आम जतना को डराने में वह सफल जरूर रहा। कालिया के इस खिताब के लिए सैमसंग गैलेक्सी एस4 जूम, आईबॉल प्रोजेक्टर फोन और माइक्रोमैक्स डूडल था।
आईबॉल प्रोजेक्टर फोन और सैमसंग गैलेक्सी एस4 जूम में कड़ी टक्कर थी लेकिन गैलेक्सी एस4 जूम यह खिताब जीतने में कामयाब रहा। क्योंकि आईबॉल एंडी बहुत ज्यादा प्रभाव छोड़ने में सफल नहीं रहा।
जबकि इतना था कि लॉन्च होने से पहले और लॉन्च होने के बाद सैमसंग गैलेक्सी एस4 जूम चर्चा में जरूर रहा। परंतु कालिया का खिताब पाने का इसका मुख्य कारण यह रहा कि वह आया तो बड़े ही धौंस से था लेकिन न तो इससे फोन डर पाए और न ही यह कैमरे को डरा सका। इसलिए कालिया के खिताब से इसी को नवाजा जा सकता है।
नोट- इस लेख का उद्देश्य वर्ष 2013 में
लॉन्च हुए नामी गिरामी फोन से पाठकों को रू-ब-रू कराना है जो इस वर्ष अपनी
छाप छोड़ने में सफल रहे। लेख का अंदाज थोड़ा मजाकिया है इस वजह से इसे
शोले के पात्रों के हिसाब से दर्शाया गया है। परंतु हमने ऐसी कोशिश नहीं की
है जिससे किसी फोन या ब्रांड की छवि खराब हो।
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