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आॅक्टाकोर फोन: आठ का दम

स्मार्टफोन सिर्फ बड़ी स्क्रीन और ताकतवर कैमरा होने से नहीं होता है बल्कि वह होता है जो बेहतर ढंग से मल्टीटास्किंग, भारी-भरकम गेमिंग व एप्लिकेशन को रन करने में सक्षम हो। ऐसे ही स्मार्ट हैं आॅक्टाकोर फोन। पिछले साल तक जहां डुअलकोर और क्वाडकोर फोन चर्चा में थे वहीं इस बार आॅक्टाकोर फोन सुर्खियां बटोर रहे हैं। सैमसंग ने गैलेक्सी एस4 के साथ आॅक्टाकोर प्रोसेसर फोन की शुरुआत की थी और अब भारतीय निर्माता भी इसे भुनाने में लगे हैं। प्रोसेसेर कोर की इस नई तकनीक पर चर्चा कर रहेे हैं मुकेश कुमार सिंह।



मोबाइल पर जब से मल्टीटास्किंग संभव हुआ है तब से यह डिवायस और भी ज्यादा उपयोगी हो गया है। अर्थात आप गाने सुन रहे हैं और मेल भी सर्फ कर रहे हैं या वीडियो देखते हुए भी ब्राउजिंग या चैटिंग से जुड़े हुए हैं। परंतु अक्सर मल्टीटास्किंग के समय फोन हैंग हो जाता है। 

फोन काम करना बंद कर देता है और एक जगह अटक जाता है। तब फोन को बंद करते हैं, बैटरी निकालते हैं और  फ़िर से वही लंबा प्रोसेस अपनातेे हैं तब जाकर आपका काम निपटता है। उस वक्त आपको लगता है कि आपका फोन स्मार्टफोन के नाम पर कलंक है और इसे फेंक देने में ही भलाई है। जब भी कुछ भारी भरकम काम की बारी आती है तो यह काम करना बंद कर देता है या फ़िर  अटकने लगता है। जबकि अपके दोस्त का फोन सटा-सट काम कर रहा होता है।

उस वक्त तो आपके दिमाग में यही सवाल आता है कि दोनों के पास स्मार्टफोन हैं लेकिन उसका फोन काम कर रहा होता है परंतु आपका फोन धीमा क्यों हो जाता है। जबकि दोनों ने लगभग समान कीमत में फोन लिया था। तो मैं बता दूं कि आपने शायद बड़ी और चमदार स्क्रीन या भारी भरकम कैमरा देखकर फोन खरीद लिया होगा जबकि आपके दोस्त ने फोन में ताकतवर स्पेसिफिकेशन देखकर खरीदारी की होगी। स्मार्टफोन सिर्फ बड़ी स्क्रीन और ताकतवर कैमरा नहीं होता है बल्कि स्मार्टफोन वह होता है जो बेहतर ढंग से मल्टीटास्किंग, भारी-भरकम गेमिंग और एप्लिकेशन को रन करने में सक्षम हो। जो हैंग न हो। जिस पर ज्यादा एप्लिकेशन चलाई जा सके और जो मोबाइल से जुड़े आपके हरेक काम को स्मार्ट तरीके से निपटाने में सक्षम हो। ये सारी चीजें तभी सक्षम हो सकती हैं जब आपके फोन का प्रोसेसर ताकतवर हो। 

आपने भी गौर किया होगा कि पिछले कुछ समय से कंपनियां अपने स्मार्टफोन के विज्ञापन में प्रोसेसर के बारे में जोर-शोर से प्रचार कर रही हैं। जैसे- डुअलकोर प्रोेसेसर और क्वाडकोर प्रोसेसर। ये प्रोसेसर कोर फोन की ताकत को दर्शाते हैं, अर्थात फोन मल्टीटास्किंग और स्मार्टफीचर में कितना सक्षम है। परंतु पिछले साल तक जहां डुअल कोर और क्वाडकोर फोन चर्चा में थे वहीं इस बार आॅक्टाकोर फोन सुर्खियां बटोर रहा है। पिछले साल सैमसंग ने गैलेक्सी एस4 के साथ आॅक्टाकोर प्रोसेसर फोन की शुरुआत की थी और अब भारतीय निर्माता भी इसे भुनाने में लगे हैं। आॅक्टाकोर पर आगे बढ़ने से पहले जरा जान लें प्रोसेसर तकनीक क्या है?

प्रोसेसर तकनीक
तेज ब्राउजिंग के लिए अक्सर 3जी और 4जी नेटवर्क का जिक्र होता है। परंतु इन नेटवर्क पर आप सिर्फ इंटरनेट चला सकते हैं, ये भारी-भरकम एप्लिकेशन को रन करने में सक्षम नहीं हैं। एप्लिकेशन की तेजी के लिए बेहतर प्रोसेसर की आवश्यकता होती है। प्रोसेसर फोन का मुख्य हार्डवेयर यूनिट है जिसके बिना फोन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसे सीपीयू (CPU) के नाम से भी जाना जाता है। फोन में किसी भी डाटा का हस्तांतरण इसी के माध्यम से संभव है।

प्रोसेसर किसी भी डिवायस का मुख्य यूनिट है। यह एक चिप है जो पीसीबी बोर्ड पर लगा होता है। फोन में उपयोग होने वाले किसी प्रकार के क्रिया-कलापों का नियंत्राण  प्रोससेर द्वारा ही होता है। बात पिक्चर की करें या टेक्स्ट की हर प्रकार के डाटा जिनका उपयोग आप फोन में कर रहे हैं सबसे पहले मुख्य प्रोसेसिंग यूनिट में आता है और उसके बाद स्क्रीन पर डिसप्ले या मैमोरी कार्ड में स्टोर किया जाता है।

इसे इस तरह भी समझ सकते हैं, मोबाइल फोन में प्रोसेसर ही उसका सी ड्राइव है। जिस तरह कंप्यूटर के सी ड्राइव में इसका आॅपरेटिंग सिस्टम इंस्टाॅल होता है उसी तरह मोबाइल  प्रोसेसर में ही इसका आॅपरेटिंग सिस्टम इंस्टाॅल होता है। किसी भी फोन का प्रोसेसर जितना अच्छा होगा फोन उतना ही तेज होगा। फोन  प्रोसेसर का मानक ही यह तय करेगा कि फोन में कौन सा आॅपरेटिंग सपोर्ट करेगा और फोन में किस तरह के हार्डवेयर का उपयोग किया जा सकता है। जैसे यदि किसी फोन में वीजीए कैमरा है तो उसी प्रोसेसर का उपयोग 5.0 या 8.0 मेगापिक्सल कैमरे के साथ नहीं किया जा सकता। प्रोसेसर पर आॅपरेटिंग और हार्डवेयर निर्भर करता है। 
 

गीगाहट्र्ज से आॅक्टाकोर
मोबाइल फोन के शुरुआत से ही प्रोसेसर का उपयोग हुआ है लेकिन उस वक्त फोन का ज्यादातर उपयोग काॅलिंग व मैसेजिंग के लिए किया जाता था इसलिए प्रोसेसर का जिक्र कम होता था। साधरण प्रासेसर ही फोन के क्रियान्वयन के लिए काफी थे।


आज भी कम रेंज के फीचर फोन जिनका उपयोग मुख्यतः काॅलिंग या मैसेजिंग के लिए किया जा रहा है उनमें एआरएम 56, एआरएम 78 मेगाहट्र्ज, एआरएम 86 मेगाहट्र्ज और एआरएम 75 मेगाहट्र्ज के प्रोसेसर का ही उपयोग किया जाता है।

स्मार्टफोन की शुरुआत हुई तो 400 मेगाहट्र्ज और 500 मेगाहट्र्ज तक प्रोसेसर का उपयोग किया गया। 800 मेगाहट्र्ज वाले स्मार्टफोन को बहुत अच्छे कहे कहे जाते थे। आज भी कम रेंज के स्मार्टफोन में 700-800 मेगाहट्र्ज तक के प्रोसेसर का उपयोग किया जा रहा है। परंतु मोबाइल प्रोसेसर क्षेत्र में नया बदलाव तब आया जब क्वालकाॅम ने पहली बार मोबाइल के लिए 1 गीगाहट्र्ज प्रोसेसर को पेश किया। वर्ष 2009 में तोशिबा टीजी01 में इस प्रोससेर का उपयोग किया और इसके बाद तो मानो मोबाइल प्रोसेसर को एक नई दिशा मिल गई। स्मार्टफोन की पहचान ही प्रोसेसर बन गए। जिस फोन में जितना ताकतवर प्रोसेसर वह उतना एडवांस गिना जाने लगा।

परंतु प्रोसेसर के क्षेत्रा में कोर का श्रेय जाता है एनवीडिया को। कंपनी ने पहली बार   मोबाइल के लिए डुअलकोर प्रोसेसर प्रस्तुत किया। एनवीडिया ने टेगरा2 एपी20एच चिपसेट का प्रदर्शन किया। इस चिपसेट के साथ लाॅन्च होने वाला पहला फोन था एलजी आॅप्टिमस 2एक्स। विश्व का यह पहला फोन था जिसमें डुअलकोर प्रोसेसर का उपयोग किया गया था। फोन में 1 गीगाहट्र्ज का एनवीडिया टेगरा2 कोर्टेक्स ए9 प्रोसेसर था। इसके तुरंत बाद सैमसंग ने भी गैलेक्सी एस टू को उतारा इसमें डुअल कोर प्रोसेसर का उपयोग किया गया था।

स्मार्टफोन आने से गेम व एप्लिकेशन के क्षेत्र में भी बदलाव आना शुरू हो गया था। कंप्यूटर पर के लगभग सभी एप्लिकेशन लोग अब मोबाइल पर उपयोग करना चाहते थे। ऐसे में फोन पर बढ़ते फीचर और एप्लिकेशन की जरूरतों की वजह से प्रोसेसर को ताकतवर बनाने की आवश्यकता हुई।

मल्टीटास्किंग लोग पसंद कर रहे थे और कैमरा व मेलिंग सर्विस भी लोकप्रिय हो रहा था। डुअलकोर प्रोसेसर को लोगों ने सराहा लेकिन जरूरत और भी ज्यादा की थी। फरवरी 2012 में एलजी ने आॅप्टिमस 4एक्स एचडी का प्रदर्शन किया। यह विश्व का पहला फोन था जिसे क्वाडकोर प्रोसेसर के साथ पेश किया गया था। एनवीडिया टेगरा 3 चिपसेट पर आधारित इस फोन में 1.5 गीगाहट्र्ज का कोर्टेक्स ए9 प्रोसेसर था। इसके बाद उस वक्त ऊँची रेंज के लगभग सभी एंडराॅयड स्मार्टफोन को क्वाडकोर प्रोसेसर से लैस किया गया।

प्रोसेसर तकनीक में जितनी तेजी से बदलाव मोबाइल क्षेत्रा में देखा गया है उतना कंप्यूटर में भी नहीं है। कंप्यूटर के लंबे इतिहास में अब तक आॅक्टाकोर का जिक्र नहीं है लेकिन मोबाइल में क्वाडकोर फोन लाॅन्च होने के एक साल बाद ही आॅक्टाकोर तकनीक ने भी दस्तक दे दी। वर्ष 2013 में सैमसंग ने गैलेक्सी एस4 को लाॅन्च किया। यह विश्व का पहला फोन है जिसमें आॅक्टाकोर प्रोसेसर का उपयोग किया गया है। इसके बाद कंपनी ने सैमसग गैलेक्सी नोट3 को भी उतारा जिसमें आॅक्टाकोर प्रोसेसर का उपयोग किया गया है। 

भारतीय निर्माताओं की बात करें तो पिछले साल दिसंबर में इंटेक्स ने पहली बार आॅक्टाकोर प्रोसेसर आधारित फोन का प्रदर्शन किया था। एक्वा आॅक्टा नाम से लाॅन्च इस फोन के साथ कंपनी ने दावा किया कि यह विश्व का पहला प्योर आॅक्टाकोर फोन है। क्योंकि सैमसंग के आॅक्टाकोर फोन में दो क्वाडकोर का उपयोग किया गया था। इंटेक्स के बाद माइक्रोमैक्स कैनवस नाइट और कार्बन ने आॅक्टेन नाम से आॅक्टाकोर फोन का प्रदर्शन कर दिया। भारतीय निर्माताओं के फोन मीडिया टेक चिपसेट पर आआधारित हैं।

क्या आॅक्टाकोर की जरूरत है?
मोबाइल तकनीक पर आप गौर करेंगे तो स्थिति अजीबो-गरीब नजर आएगी। आईओएस और विंडोज आॅपरेटिंग फिलहाल जहां डुअलकोर पर ही बेहतर कार्य कर रहे हैं। एंडराॅयड आॅपरेटिंग के लिए  आॅक्टाकोर प्रोसेसर वाले फोन उपलब्ध हो चुके हैं। हालांकि एंडराॅयड में फिलहाल बहुत कम ही एप्लिकेशन हैं जिन्हें उपयोग के लिए आॅक्टाकोर प्रोसेसर की जरूरत पड़े। डुअलकोर और क्वाडकोर प्रोसेसर पर ही लगभग सभी एप्लिकेशन रन करने में सक्षम हैं। ऐसे में हमें आॅक्टाकोर की क्या जरूरत है?

इस बारे में मोबाइल तकनीकविद अर्शदीप सिंह कहते हैं, ‘मोबाइल में प्रोसेसर की क्षमता दिन प्रतिदिन बढ़ रही है लेकिन किसी भी एप्पल और ब्लैकबेरी फोन का उपयोग कर रहे उपभोक्ता को आपने प्रोसेसर के बारेे में पूछते नहीं देखा होगा। यह मांग तो एंडराॅयड आॅपरेटिंग आने से यह बेहद चर्चा में आ गई। क्योंकि एंडराॅयड आॅपरेटिंग फोन एप्लिकेशन के लिए जाने जाते हैं और यदि आपको ज्यादा एप्लिकेशन चलानी है तो फोन की प्रोसेसिंग क्षमता ज्यादा होनी ही चाहिए।’

वहीं इस बारे में फिनबार माॅनिहान, जनरल मैनेजर, इंटरनेशनल सेल्स एंड मार्केटिंग मीडियाटेक, कहते हैं, ‘गेम्स व एप्लिकेशन की मांग तेजी से बढ़ रही है। हां यह बात सच है कि फिलहाल ऐसे भारी भरकम गेम व एप्लिकेशन नहीं जिन्हें चलाने के लिए    आॅक्टाकोर प्रोसेसर की जरूरत पड़े। डुअलकोर और क्वाडकोर फोन पर ही गेम चलाए जा सकते हैं लेकिन यह एक प्रक्रिया है। तकनीक आएगी तभी विकास संभव है। जब हम प्रोसेसर बनाएंगे तभी एप्लिकेशन डेवलपर इस तरह के गेम व एप्लिकेशन बनाएंगे जो आॅक्टाकोर पर चलाए जा सकेंगे। कुछ ही दिनों में यह तकनीक आम होगी और एप्लिकेशन डेवलपर आॅक्टाकोर प्रोसेसर के लिए गेम व एप्लिकेशन बनाएंगे।’

इस बारे में वरिष्ठ तकनीकी पत्राकार निमिष दुबे कहते हैं, ‘एंडराॅयड फोन के लिए   मल्टीकोर प्रोसेसर का जिक्र ज्यादा होता है। एंडराॅयड एप्लिकेशन ओपन सोर्स है और कोई भी निर्माता इस पर फोन का निर्माण कर सकता है। हर निर्माता अपने हिसाब से फोन का निर्माण और एंडराॅयड आॅपरेटिंग का उपयोग करते हैं। एंडराॅयड में एप्लिकेशन डेवलपर पर भी ज्यादा नियंत्राण नहीं है हर कोई अपने हिसाब से गेम व एप्लिकेशन बना रही है। ऐसे में एंडराॅयड में एप्लिकेशन उपयोग के लिए हमेशा उच्च क्षमता वाले प्रोसेसर का जिक्र होता रहा है। एप्पल और ब्लैकबेरी में आॅपरेटिंग और फोन निर्माण पर इन्हीं कंपनियों का नियंत्रण है इसलिए प्रोसेसर कभी मुद्दा नहीं रहा।’

प्रोसेसर कोर
कोर तकनीक को बारीकी से समझने के लिए आवश्यक है कि पहले प्रोसेसर तकनीक समझें। एक प्रोसेसर कई यूनिट में बंटा होता है फिर भी कुछ यूनिट हैं जो समान हैं। जैसे एल1 कैश यूनिट और कोर यूनिट। एल1 कैश यूनिट डाटा स्टोर के लिए होता है जबकि स्पीड कोर यूनिट पर निर्भर करती है। इन्हीं कोर का जिक्र आज फोन में किया जाता है। कोर को ऐसे भी समझ सकते हैं कि यह एक कमरा है। जहां आप कोई भी समान रख रहे हैं। परंतु मल्टीकोर में कमरे के अंदर हिस्सा कर दिया गया और हर सामान के लिए अलग-अलग खाना बनाया गया। एक कमरे में जहां सामान उलझ जाता था। वहीं मल्टीकोर में सामान सही तरीके से व्यस्थित और तेजी रख व बाहार कर सकते है। मोबाइल प्रोसेसर कोर का यही कार्य है।

सिंगल कोर प्रोसेसर- जैसी कि हमने पहले जानकारी दी सिंगल कोर प्रोसेसर में एक ही प्रोसेसिंग यूनिट होता है। एक ही प्रोसेसिंग यूनिट होने की वजह से डाटा का हस्तांतरण बहुत हद तक सीमित हो जाता है। जहां  मल्टीटास्किंग के दौरान थोड़ी समस्या हो जाती है। प्रोसेसिंग क्षमता धीमी हो जाती है।

डुअल कोर प्रोसेसर- डुअल कोर प्रोसेसर में कोर यूनिट दो होते हैं। कोर यूनिट दो होने से डिवायस कार्यों को दो बराबर भागों में बांट देता है। कार्यों को दो भागों में बांटने से कोर यूनिट पर भार कम पड़ता है जिससे डिवायस की गति तो तेज होती है, साथ ही, मल्टीटास्किंग आसान हो जाती है। एलजी  आॅप्टिमस 2 एक्स में पहली बार डुअल कोर प्रोसेसर का उपयोग किया गया।

क्वाडकोर प्रोसेसर- जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इसमें चार कोर होते हैं। डुअल कोर की अपेक्षा इसमें दो अतिरिक्त कोर होते हैं जो डाटा हस्तांतरण को बेहतर बनाते हैं। अब जहां एक नहीं, दो नहीं बल्कि चार कोर हैं तो जाहिर है कि डिवायस ज्यादा बेहतर तरीके से कार्य करेगा। साथ ही मल्टीटास्किंग और बेहतर हो जाती है। कोर पर पड़ने वाला भार भी चार भागों में बंट जाता है। एलजी आॅप्टिमस 4एक्स में पहली बार क्वाडकोर प्रोसेसर का उपयोग देखने को मिला था।

हेक्सा कोर- हेक्साकोर प्रोेसेसर फोन इस साल प्रचलन में आया है। सबसे पहले सैमसंग ने हेक्सा कोर प्रोसेसर के साथ गैलेक्सी नोट 3 नियो को लाॅन्च किया था। इसके बाद कार्बन ने हेक्सा कोर प्रोसेसर के साथ टाइटेनियम हेक्सा को लाॅन्च किया है। हेक्सा कोर में छह कोर होते हैं।

आॅक्टाकोर- आॅक्टाकोर प्रोसेसर में कोर आठ होते हैं। मल्टीटास्किंग को आसान बानाने के लिए आॅक्टाकोर खास है, साथ ही बेहतर बैकअप के लिए भी इसको जाना जाता है। आॅक्टाकोर में फिललहाल दो तकनीक है। सैमसंग ने जहां गैलेक्सी एस 4 और गैलेक्सी नोट3 में दो क्वाडकोर प्रोसेसर का उपयोग किया है। वहीं मीडियाटेक द्वारा प्योर आॅक्टाकोर प्रोसेसर पेश किया गया है जिसमें एक ही प्रोेसेसर में आठ कोर हैं।

प्रोसेसर आर्किटेक्चर
मोबाइल में प्रोसेसर की जब बात करते हैं तो एआरएम और कोर्टेक्स का जिक्र सुना होगा। परंतु आपने सोचा है आखिर यह एआरएम है क्या? अर्शदीप बताते हैं, ‘एआरएम प्रोसेसर आर्किटेक्चर (ढांचा) है जिसका उपयोग पोर्टेबल डिवायस के निर्माण के लिए किया जाता है। आज मोबाइल प्रोसेसर का निर्माण कई कंपनियों द्वारा किया जा रहा है लेकिन एआरएम का उपयोग हर कोई करता है। एआरएम7, एआरएम8, एआरएम9 और एआरएम11 मोबाइल प्रोसेसर के मानक हैं। इसके अलावा आधुनिक फोन में कोर्टेक्स2, कोर्टेक्स ए8 कोर्टेक्स ए7 और कोर्टेक्स ए9 मानकों का प्रयोग किया जा रहा है।’

आॅक्टाकोर फोन
यदि आप भी मल्टीकोर और खास कर आॅक्टाकोर फोन लेने का मन बना रहे हैं तो इन फोन को देख सकते हैं जो आॅक्टाकोर प्रोसेसर के साथ बेहतर तकनीक से लैस हैं।

1 सैमसंग गैलेक्सी एस4-  सैमसंग के सबसे ताकतवर फोन में से एक गैलेक्सी एस4 को जाना जाता है। फोन बहुत ही शानदार है। फोन में 13.0 मेगापिक्सल का शानदार कैमरा है। वहीं दूसरी ओर एयरजेस्चर का अच्छा प्रयोग देखने को मिलता है। फोन का आॅक्टाकोर प्रोसेसर बेहतर परफाॅर्मेंस का अहसास करता है। एस4 में 5.0 इंच का सुपर एमोलेड डिसप्ले है जो बहुत ही शानदार है। भारत में इसे लगभग 42,000 रुपए में लाॅन्च किया गया था लेकिन आज यह डिवायस 29-30 हजार रुपए के बजट में उपलब्ध है।

2 सैमसंग गैलेक्सी नोट3- सैमसंग का यह दूसरा डिवायस है जिसे आॅक्टाकोर प्रोसेसर के साथ पेश किया गया है। एंडराॅयड आॅपरेटिंग 4.3 जेलीबीन आआधारित इस डिवायस में 5.7 इंच की स्क्रीन है। एस 4 की तरह नोट 3 में भी आॅक्टाकोर प्रोसेसर का उपयोग किया गया है। अपने नोट फीचर के लिए पफोन काफी लोकप्रियता बटोर चुका है। नोट3 में 13.0 मेगापिक्सल का मुख्य कैमरा है जबकि सेकेंडरी कैमरा 2.0 मेगापिक्सल का दिया गया है। मल्टीटास्किंग के मामले में फोन कमाल का है। वहीं नोट फीचर देखकर भी आप दंग रह जाएंगे।

 3 सैमसंग गैलेक्सी एस5- गैलेक्सी एस 5 (Samsung Galaxy S5) में 5.1 इंच की सुपर एमोलेड स्क्रीन है जो बेहतर डिसप्ले के लिए जानी जाती है। स्क्रीन कोर्निंग गोरिल्ला ग्लास 3 कोटेड है। इसके साथ ही अच्छी बात यह कही जा सकती है कि फोन आईपी67 सर्टिफाइड (IP67 certifiedIP67 certified ) है। फोन दो मैमोरी विकल्प 16 जीबी और 32 जीबी के साथ पेश किया गया है और दोनों माॅडल के साथ आपको 2 जीबी का रैम मिलेगा। खास बात यह है कि इसके साथ 128 जीबी तक का मैमोरी कार्ड सपोर्ट है। अब तक हमने किसी फोन में इतना ज्यादा कार्ड सपोर्ट नहीं देखा। 16 मेगापिक्सल का इसका सैकेंडरी कैमरा फेस डिटक्शन, जियो टैगिंग और टच फोकस जैसे फीचर से लैस है। इतना ही नहीं एचडी वीडियो रिकाॅर्ड और इमेज स्टेबलाइजेशन जैसे कुछ फीचर भी मिलेंगे। फोन में सेकेंडरी कैमरा 2.0 मेगापिक्सल का है। एस 4 की तरह गैलेक्सी एस4 में भी आॅक्टाकोर प्रोसेसर है। फोन में 1.9 गीगाहट्र्ज और 1.3 गीगाहट्र्ज के दो क्वाडकोर प्रोसेसर दिए गए हैं। इसके साथ ही एड्रिनो 330 जीपीयू भी दिया गया है। आॅपरेटिंग की बात करें तो इसे एंडराॅयड आॅपरेटिंग सिस्टम के नए संस्करण 4.4 कीटकैट ((Android OS, v4.4.2 KitKat)) पर पेश गया है। 

4 माइक्रोमैक्स कैनवस नाइट- आॅक्टाकोर प्रोसेसर के साथ माइक्रोमैक्स ने कैनवस नाइट ए350 भारतीय बाजार में उतारा है। फोन की कीमत 19,999 रुपए है। बेहतर म्यूजिक के लिए इसे यामहा एंप्लिफायर से लैस किया गया है। फोन में 5.0 इंच की स्क्रीन है और इसका स्क्रीन रेजल्यूशन 1080x1920 पिक्सल है। एंडराॅयड आॅपरेटिंग 4.2 जेलीबीन आआधारित इस डिवायस में 2 गीगाहट्र्ज का आॅक्टाकोर प्रोसेसर है। फोन की इंटरनल मैमोरी 32 जीबी है और इसमें 2 जीबी की रैम है। फोटोग्राफी के लिए 16.0 मेगापिक्सल का मुख्य कैमरा है जबकि सेकेंडरी कैमरा 8.0 मेगापिक्सल का है।

5 कार्बन टाइटेनियम आॅक्टेन और आॅक्टेन प्लस- टाइटेनियम आॅक्टेन में 5.0 इंच का आईपीएस डिसप्ले है और डुअल सिम की सुविधा  के साथ ही इसमें भी 13.0 मैगापिक्सल रियर और 5.0 मैगापिक्सल फ्रंट कैमरा दिया गया है। फोन में 1जीबी रैम और 16जीबी इंटरनल स्टोरेज की सुविध है। पावर बैकअप के लिए 2000 एमएएच की बैटरी दी गई है और फोन की कीमत 14,490 रुपए है। फिलहाल आॅक्टा कोर में यह सबसे कम कीमत का फोन है। वहीं टाइटेनियम आॅक्टेन प्लस में 16.0 मैगापिक्सल रियर और 8.0 मैगापिक्सल फ्रंट कैमरा दिया गया है। 5.0 इंच आईपीएस स्क्रीन है और 2जीबी रैम है। फोन में 1.7 गीगाहट्र्ज    आॅक्टाकोर प्रोसेसर का उपयोग किया गया है। यह फोन बाजार में 17,990 रुपए में उपलब्ध् होगा।

6 इंटेक्स एक्वा  आॅक्टा- इंटेक्स ने आॅक्टाकोर प्रोसेसर पर एक्वा आॅक्टा फोन लाॅन्च किया है। भारतीय बाजार में फोन की कीमत 19,999 रुपए है। डुअल सिम आधारित इस फोन में 720x1280 पिक्सल रेजल्यूशन वाली 6 इंच की   कपैसिटिव टच स्क्रीन है। फोन को एंडराॅयड आॅपरेटिंग 4.2 पर पेश किया गया है। इसमें 13.0 मैगापिक्सल रियर कैमरा तथा 5.0   मैगापिक्सल फ्रंट कैमरा है। मैमोरी की बात करें तो इसमें 2जीबी रैम, 16जीबी इंटरनल मैमोरी है। इसके साथ ही 5 जीबी का क्लाउड स्टोरेज भी मुफ्त दिया गया है।

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